सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी कर 24 अप्रैल तक जवाब मांगा है. कोर्ट 29 अप्रैल को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. मामले की सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश वकील ने कहा कि केजरीवाल को गिरफ्तार इसलिए किया गया ताकि वो लोकसभा चुनाव में प्रचार प्रसार ना कर सके. केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
याचिका में चुनाव के बीच में गैर कानूनी ढंग से गिरफ्तारी बात
केजरीवाल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को ईडी ने चुनाव के बीच में गैर कानूनी ढंग से गिरफ्तार कर लिया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि यह गिरफ्तारी सह अभियुक्तों के बहुत देरी से दिये गए बयानों के आधार पर की गई हैं, जो कि अब सरकारी गवाह बन गए हैं. ये सब समग्री पिछले नौ महीने से थी, फिर भी उनकी गिरफ्तारी आम चुनाव के बीच मे की गई है. केजरीवाल की ओर से कहा गया है कि उनके खिलाफ कोई सबूत नही है, जिसके आधार पर उनको दोषी माना जा सके या उनकी गिरफ्तारी की जाए. याचिका में कहा गया कि अगर केजरीवाल को आगामी चुनाव में भाग लेने के लिए तुरंत रिहा नही किया गया तो ये सत्ताधारी पार्टी के प्रमुखों की गिरफ्तारी मिशाल होगी, जिससे हमारे संविधान के मूल सिद्धांत खत्म हो जाएगा.
याचिका में यह भी कहा गया है कि हाइकोर्ट इस बात को समझने में विफल रहा है कि सरकारी गवाह बन चुके सह आरोपियों के बयान को किसी व्यक्ति के अपराध को सुनिश्चित करने के लिए स्टार्टिंग पॉइंट नहीं माना जा सकता है. ईडी इस तरह के बयान जबरन दर्ज करवा रही है. याचिका में कहा गया है कि जिन बयानों के आधार पर गिरफ्तारी की गई है, उन्हें 7 दिसंबर 2022 से 27 जुलाई 2023 के बीच दर्ज किया गया था और बाद में केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है. उन्होंने दावा किया है कि पुराने बयानों को पुष्ट करने के लिए 21 मार्च 2024 को गिरफ्तारी से पहले बयान दर्ज नही किया गया, जबकि PMLA की धारा 19 के तहत ऐसा करना जरूरी हैं.
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हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की वैध बताते हुए याचिका को खारिज कर दिया था. हाइकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि ईडी ने जो सबूत दिए हैं, वो पुख्ता सबूत है. कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल पूरी साजिश में लिप्त थे और उन्होंने घूस भी मांगी थी. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चुनाव लड़ने के लिए टिकट कौन देता है या चुनावी बॉन्ड कौन खरीदता है, यह कोर्ट की चिंता नहीं है. कोर्ट ने ईडी के उस तर्क को मान लिया था कि आम आदमी पार्टी एक कंपनी की तरह काम करती हैं.