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दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा निजी स्कूलों के फीस बढ़ोतरी को लेकर जारी इस फरमान पर दिल्ली हाइकोर्ट ने लगाई रोक

29 अप्रैल को पारित अंतरिम आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा जारी आदेश सीधे तौर पर कोर्ट के पहले के फैसले के विपरीत है।

दिल्ली स्कूल की एक तस्वीर (फोटो फाइल)

दिल्ली हाइकोर्ट ने दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग (डीओई) द्वारा जारी एक परिपत्र पर रोक लगा दी है, जिसमें सरकार द्वारा आवंटित भूमि पर स्थित निजी स्कूलों को बिना पूर्व मंजूरी के अपनी फीस बढ़ाने से रोक दिया गया। न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने उस परिपत्र पर रोक लगा दी, जो 27 मार्च को डीओई द्वारा जारी किया गया था। कोर्ट ने कहा सुनवाई की अगली तारीख तक डीओई द्वारा जारी 27 मार्च 2024 के विवादित सर्कुलर के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी।

आदेश सीधे तौर पर कोर्ट के पहले के फैसले के विपरीत

29 अप्रैल को पारित अंतरिम आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा जारी आदेश सीधे तौर पर कोर्ट के पहले के फैसले के विपरीत है। न्यायमूर्ति हरि शंकर ने कहा कि भले ही इस फैसले को सरकार ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है, लेकिन इसे रोका या रद्द नहीं किया गया है। डीओई एक्शन कमेटी में इस न्यायालय के फैसले से कितना भी असंतुष्ट क्यों न हो, गैर सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को इसका सम्मान करना होगा, जब तक यह कायम है। डीओई की पूर्व मंजूरी प्राप्त किए बिना मान्यता प्राप्त गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को उनकी फीस बढ़ाने की स्थिति में कार्रवाई की धमकी देने वाले लगातार परिपत्र जारी करने का डीओई का रवैया आपत्तिजनक है, और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है।

चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश

उच्च न्यायालय ने कहा कि स्कूलों को इस तरह मुकदमेबाजी में नहीं धकेला जा सकता है और कानून स्पष्ट है कि किसी गैर सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूल को अपनी फीस बढ़ाने से पहले किसी पूर्व मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, भले ही वह उस भूमि पर स्थित हो जिस पर भूमि खंड लागू होता है। कोर्ट ने निजी स्कूलों की संस्था एक्शन कमेटी अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड स्कूल्स की याचिका पर यह आदेश दिया। अदालत ने डीओई को भी नोटिस जारी किया और चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।

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