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मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत: Hemant Soren को Supreme Court से नहीं मिली राहत, अब इस तारीख को होगी सुनवाई

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाला मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था. इस मामले में उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है. फिलहाल वह रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं.

Hemant Soren

सीएम हेमंत सोरेन.

भूमि घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से दायर अंतरिम जमानत याचिका पर 22 मई को भी सुनवाई जारी रहेगा. जस्टिस दीपांकर दत्ता की अवकाशकालीन पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है. मामले की सुनवाई के दौरान ईडी ने दलील दी कि अगर हेमंत सोरेन को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो जेल में बंद सभी नेता जमानत की मांग करेंगे. वही हेमंत सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने चुनाव का हवाला देते हुए सुनवाई टालने की ईडी की मांग का विरोध किया है.

कपिल सिब्बल ने रखा पक्ष

सिब्बल ने कहा कि यह 8.86 एकड़ जमीन का मामला है, और इससे सोरेन का कोई संबंध नही है. उन्होंने आगे कहा कि इन जमीनों का रिकॉर्ड 1979 में अलग-अलग लोगों को ट्रांसफर दिखाता है. तब सोरेन 4 साल के थे. सिब्बल ने यह भी कहा कि जमीन पर एक बिजली कनेक्शन भी है और यह हिलेरियस कच्छप के नाम पर है. वह मामले में आरोपी नंबर 4 है और जमीन की लीज राजकुमार पाहन के नाम पर है. इन लोगों से सोरेन का कोई संबंध नही है. वही ईडी ने हलफनामा देकर हेमंत सोरेन के अंतरिम जमानत का विरोध किया है. ईडी ने कहा है कि चुनाव के लिए प्रचार प्रसार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार और न ही कानूनी अधिकार है.

ED के आरोप

न्यायिक हिरासत में रहते हुए वोट देने का अधिकार जिसे इस न्यायालय ने वैधानिक/संवैधानिक अधिकार माना है, वह भी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62(5) के तहत कानून द्वारा सीमित है. ईडी ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि पिछले 5 वर्षों में लगभग 123 चुनाव हुए हैं और यदि प्रचार करने के उद्देश्य से अंतरिम जमानत दी जाती है तो किसी भी राजनेता को गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत में नही रखा जा सकता है, क्योंकि चुनाव पूरे साल होते है. केवल पीएमएलए के तहत ही वर्तमान में कई राजनेता हिरासत में है. कोई कारण नहीं है कि याचिकाकर्ता द्वारा विशेष उपचार के लिए विशेष प्रार्थना स्वीकार की जाए.

ईडी ने हलफनामा में यह भी कहा है कि सोरेन ने जांच को विफल करने के लिए एससी/एसटी अधिनियम के तहत अधिकारियों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने का भी सहारा लिया है. सोरेन ने राज्य मशीनरी का दुरुपयोग किया है और इस मामले में समानान्तर झूठे सबूत बनाने के लिए उनका गलत इस्तेमाल किया है. उनको दी गई किसी भी राहत का परिणाम गवाहों को प्रभावित करना और उनके खिलाफ सबूतों को नष्ट करना होगा. सोरेन अगर जेल से बाहर आएंगे तो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.

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31 जनवरी को हुए थे गिरफ्तार

बता दें कि हेमंत सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाला मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था. सोरेन पर जमीन से जुड़े धन शोधन का आरोप है. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिलहाल रांची की बिरसा मुंडा जेल में न्यायिक हिरासत में है. हेमंत सोरेन ने लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी. गौरतलब है कि सोरेन के खिलाफ जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन से जुडी है. ईडी का आरोप है कि इसे अवैध रूप से कब्जे में लिया गया था.

ईडी ने सोरेन और सोरेन के कथित फ्रंटमैन राज कुमार पाहन और हिलारियास कच्छप तथा पूर्व मुख्यमंत्री के कथित सहयोगी बिनोद सिंह के खिलाफ 30 मार्च को यहां विशेष पीएमएलए अदालत में आरोप पत्र दायर किया था. सोरेन ने रांची की एक विशेष अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित और उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी.

-भारत एक्सप्रेस 



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