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सेना प्रमुख मनोज पांडे ने रक्षा क्षेत्र के संबंध में वेद, पुराण और महाभारत को लेकर क्या कहा?

रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल प्रोजेक्ट ‘उद्भव’ की शुरुआत की है. इसका उद्देश्य सुरक्षा बलों को ‘भविष्य के लिए तैयार’ बनाने पर ध्यान देने के साथ भारत के प्राचीन रणनीतिक कौशल को समकालीन सैन्य क्षेत्र में एकीकृत करके सेना में स्वदेशी प्रचलन को बढ़ावा देना है.

थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे

थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सेना ने एक परियोजना के तहत महाभारत के प्रमुख युद्धों, प्रख्यात सैन्य हस्तियों के वीरतापूर्ण कारनामों और शासन कला में भारत की समृद्ध विरासत के बारे में जानकारी जुटाई है, जिसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में देश के दृष्टिकोण को समृद्ध करना है.

उन्होंने कहा कि पिछले साल शुरू किया गया प्रोजेक्ट ‘उद्भव’ वेदों, पुराणों, उपनिषदों और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों में गहराई से उतरता है.

उनके अनुसार, प्रोजेक्ट ‘उद्भव’ का उद्देश्य सुरक्षा बलों को ‘भविष्य के लिए तैयार’ करने पर ध्यान देने के साथ भारत के प्राचीन रणनीतिक कौशल को समकालीन सैन्य क्षेत्र में एकीकृत करके सेना में स्वदेशी प्रचलन को बढ़ावा देना है. सेना प्रमुख ने कहा, ‘इस परियोजना में वेदों, पुराणों, उपनिषदों और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों की गहराई से पड़ताल की गई है, जो परस्पर जुड़ाव, धार्मिकता और नैतिक मूल्यों पर आधारित हैं.’

रणनीतिक प्रतिभा का पता

उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा इसमें महाभारत की प्रमुख लड़ाइयों और मौर्य, गुप्त और मराठों के शासनकाल के दौरान रणनीतिक प्रतिभा का पता लगाया गया है, जिसने भारत की समृद्ध सैन्य विरासत को आकार दिया है.’


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रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल कहा था कि प्रोजेक्ट ‘उद्भव’ को एक रणनीतिक शब्दावली और वैचारिक ढांचे को बुनने के लिए डिजाइन किया गया है, जो भारत की दार्शनिक और सांस्कृतिक विरासत में गहराई से अंतर्निहित है.

प्रोजेक्ट ‘उद्भव’

सेना प्रमुख ने कहा, ‘यह उल्लेखनीय है कि प्रोजेक्ट ‘उद्भव’ ने प्रख्यात भारतीय और पश्चिमी विद्वानों के बीच पर्याप्त बौद्धिक समानता (Convergence) का खुलासा किया है, जो उनके विचारों, दर्शन और दृष्टिकोण के बीच प्रतिध्वनि को उजागर करता है.’ सेना प्रमुख ने ‘भारतीय सामरिक संस्कृति में ऐतिहासिक पैटर्न’ शीर्षक वाले एक सम्मेलन में यह टिप्पणी की.

उन्होंने कहा कि इसने भारत की जनजातीय परंपराओं, मराठा नौसैनिक विरासत और सैन्य हस्तियों, विशेषकर महिलाओं के व्यक्तिगत वीरतापूर्ण कारनामों को उजागर करके नए क्षेत्रों में खोज को प्रेरित किया है. जनरल पांडे ने कहा, ‘यह परियोजना शिक्षाविदों, विद्वानों, अभ्यासकर्ताओं और सैन्य विशेषज्ञों के बीच नागरिक-सैन्य सहयोग को बढ़ावा देकर पूरे देश के दृष्टिकोण को मजबूत करती है.’

उन्होंने कहा, इस तरह के सामूहिक प्रयास प्राचीन भारत की रक्षा और शासन के अध्ययन के दायरे को व्यापक बनाते हैं और देश के रणनीतिक दृष्टिकोण को समृद्ध करते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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