Bharat Express

Lok Sabha Elections Result 2024: चुनाव नतीजे आने से पहले ही इस राज्य में भाजपा ने चख लिया था जीत का स्वाद

कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि चुनाव न लड़ने की स्थिति ने मतदाताओं को चुनने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया, जिसमें NOTA (इनमें से कोई नहीं) चुनने का अवसर भी शामिल है.

सूरत से भाजपा सांसद मुकेश दलाल. (फोटो: X)

Surat Lok Sabha Result 2024: लोकसभा चुनाव-2024 की मतगणना शुरू होते ही रुझान भी सामने आने लगे हैं. सुबह 8 बजे से जारी काउंटिंग के बीच भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन, विपक्ष के इंडिया गठबंधन के खिलाफ बढ़त बनाए हुए हैं. 543 सीटों के लिए मतगणना जारी है.

हालांकि गुजरात की सूरत लोकसभा सीट एकमात्र ऐसी सीट है, जहां पर मतगणना से पहले ही परिणाम घोषित हो चुका है. यहां पर भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं. दरअसल यहां पर परिस्थिति ही कुछ ऐसी बनी थी कि चुनाव कराने की ही आवश्यकता नहीं हुई.

इस सीट पर भाजपा की ओर से मुकेश दलाल चुनावी मैदान में उतरे थे तो वहीं अन्य दलों सहित कुल 11 उम्मीदवार चुनाव में खड़े हुए थे और सभी उम्मीदवारों ने नामांकन भी कराया. इस बीच बीते 22 अप्रैल को कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन खारिज होने के बाद भाजपा के मुकेश दलाल निर्विरोध विजयी हो गए थे.

इंडिया गठबंधन के तहत ये चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी (आप) ने सूरत से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था. इसके अलावा सूरत लोकसभा क्षेत्र के सभी 8 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जिससे मुकेश दलाल अकेले दावेदार रह गए.

इस तरह से गुजरात के चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि बिना चुनाव कराए ही भाजपा ने सीट अपने नाम कर ली.


ये भी पढ़ें-Lok Sabha Election-2024 Result: “आज के दिन का पंच परमेश्वर वही है…” चुनाव परिणाम से पहले बोले अखिलेश यादव, चुनाव आयोग से कही ये बड़ी बात


कांग्रेस प्रत्याशियों का नामांकन खारिज

कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया, क्योंकि उनके तीन प्रस्तावकों ने कहा कि उन्होंने उनके फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इस अस्वीकृति ने उन्हें सूरत चुनाव से बाहर कर दिया. इसके बाद उनकी जगह उतारे गए कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन भी अमान्य कर दिया गया, जिससे गुजरात में मुख्य विपक्षी पार्टी के पास सूरत में कोई उम्मीदवार नहीं बचा.

कांग्रेस ने क्या आरोप लगाया

निर्विरोध जीत ने विवाद को जन्म दिया था. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने अन्य उम्मीदवारों को मैदान से हटने के लिए मजबूर करने के लिए ‘गलत और अनुचित प्रभाव’ डाला. उसने तर्क दिया था कि चुनाव न लड़ने की स्थिति ने मतदाताओं को चुनने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया, जिसमें NOTA (इनमें से कोई नहीं) चुनने का अवसर भी शामिल है.

चुनाव आयोग ने क्या कहा था

इन आरोपों का जवाब देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने स्पष्ट किया था कि चुनाव आयोग केवल तभी हस्तक्षेप कर सकता है जब उम्मीदवारों को नाम वापस लेने के लिए मजबूर किए जाने के ठोस सबूत हों. अगर नाम वापस लेना स्वैच्छिक था, तो आयोग के पास हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है.

कुमार ने सवाल किया था, ‘अगर उम्मीदवार स्वेच्छा से अपना नामांकन वापस लेते हैं, तो हम क्या कर सकते हैं?’ उन्होंने दावा किया कि यह एक ‘अफवाह’ है और ‘संदेह फैलाने’ की एक चाल है.

2019 में भी बीजेपी को ही मिली थी जीत

बता दें कि 2019 के आम चुनावों में भी इस सीट पर भाजपा ने ही जीत हासिल की थी. तब यहां पर निर्वतमान सांसद दर्शन विक्रम जरदोश चुनाव में खड़ी हुई थीं और उनको 7 लाख 95 हजार 651 वोट मिले थे. इस तरह से उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार अशोक पटेल को 2 लाख 47 हजार मतों से हरा दिया था. करीब-करीब यही स्थिति यहां पर 2014 में भी देखने को मिली थी.

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read