राउज एवेन्यू कोर्ट
राउज एवेन्यू कोर्ट ने जांच में लापरवाही बरतने का आधार बनाते हुए भ्रष्टाचार के मामले में एक कंपनी एवं चार बैंक अधिकारियों सहित नौ लोगों को बरी कर दिया. इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी. यह मामला केनरा बैंक के साथ 4.8 करोड़ रुपए की कथित धोखाधड़ी से संबंधित है. इसको लेकर वर्ष 2011 में मामला दर्ज किया गया था और 2015 में मुकदमा शुरू हुआ था.
राऊज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश हसन अंजार ने इस मामले में हरप्रीत फैशन प्राइवेट लिमिटेड, मोहनजीत सिंह मुटनेजा, गुंजीत सिंह मुटनेजा, हरप्रीत कौर मुटनेजा, हरमेंद्र सिंह, रमन कुमार अग्रवाल, दरवान सिंह मेहता, टीजी पुरु षोत्तम और सीटी रामकुमार को बरी कर दिया. आरोपियों में से चार बैंक कर्मचारी हैं.
न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष लोक सेवकों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने में विफल रहा है. वह यह भी साबित करने में विफल रहा है कि लोक सेवकों तथा निजी अभियुक्तों के बीच कोई षडयंत्र था. उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष हरप्रीत फैशन, मोहनजीत सिंह मुटनेजा तथा हरप्रीत कौर मुटनेजा ने गुंजीत सिंह मुटनेजा तथा हरमेंद्र सिंह के खिलाफ षडयंत्र करके धोखाधड़ी करने का आरोप साबित करने में विफल रहा है.
अदालत ने यह गौर किया कि सीबीआई ने सहयोगी कंपनियों के किसी भी कर्मचारी से पूछताछ नहीं की और अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह ने हरप्रीत फैशन से सहयोगी कंपनियों को धन के डायवर्जन के बारे में बताया.
सीबीआई ने कंपनी की अंतिम बैलेंस शीट के संबंध में कोई जांच नहीं की जिससे साफ तस्वीर सामने आती. उसने बैंक की ओर से उचित दस्तावेज उपलब्ध न कराने के कमजोर स्पष्टीकरण पर भी नाराजगी व्यक्त की. साथ ही पाया कि हरप्रीत फैशन मार्च 2004 में ही अस्तित्व में आया था. जबकि अभियोजन पक्ष ने वर्ष 2003 से 2007 के बीच साजिश होने की बात कही थी.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि अभियुक्तों ने बैंक को धोखा देने के लिए वर्ष 2003 से 2007 के बीच चार अलग-अलग आपराधिक षडयंत्र रचे तथा 47 अलग-अलग चेकों के माध्यम से धनराशि को हरप्रीत फैशन की पांच सहयोगी कंपनियों में भेज दिया. जबकि उक्त रकम बैंक से ली गई ऋण राशि थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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