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नौकरियों में सामाजिक और आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंक देने के हरियाणा सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया

हरियाणा सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों में सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अंक देने का प्रावधान किया था।

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट

नौकरियों में सामाजिक और आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंक देने के फैसले को लेकर पंजाब व हरियाणा हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हरियाणा सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार के फैसले को असंवैधानिक ठहराने के हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है।

5 अंक का मामला

इससे पहले पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दिये गए 5 अंक को असंवैधानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से 23 हजार युवाओं नियुक्ति पर असर पड़ेगा। यह आदेश जस्टिस अभय एस ओका और राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने दिया है। हाइकोर्ट ने हरियाणा सरकार की इस नीति को खारिज किया था जिसमें हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के ग्रुप सी और डी के इसी राज्य के अभ्यर्थियों को सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 बोनस अंक दिए जाते हैं।

फैसले में हाइकोर्ट ने कही ये बात

हाइकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि किसी भी राज्य को यह अधिकार नहीं है मि वह अपने यहां के निवासियों को 5 अंको का लाभ दे। हाइकोर्ट में सरकार के सामाजिक-आर्थिक आरक्षण के विरोध में दाखिल याचिका में बताया गया था कि प्रदेश सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया है। हरियाणा सरकार की ओर से इस आरक्षण के तहत जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी पर न हो और परिवार की आमदनी कम हो तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त नंबर का लाभ देने का प्रावधान किया गया था।

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हरियाणा सरकार ने किया था यह प्रावधान

बतादें कि हरियाणा सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों में सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अंक देने का प्रावधान किया था। जिसके खिलाफ हाइकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में बताया गया था कि प्रदेश सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया है। इस आरक्षण के तहत जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी पर न हो और परिवार मि आमदनी कम हो तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक मो सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंको का लाभ देने का प्रावधान किया गया है। हाइकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुरूप सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ नही दिया जा सकता है।

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