इंदौर में लिट चौक फेस्टिवल के दौरान भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन और एमडी उपेंद्र राय
भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, एमडी और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने कहा कि आज के दौर में मुख्यधारा की मीडिया से सोशल मीडिया ज्यादा बेहतर काम कर रहा है. वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय शनिवार को इंदौर में लिट चौक फेस्टिवल के दूसरे दिन ‘मीडिया: फिसलता आज और निकलता कल’ विषय पर केंद्रित टॉक शो को संबोधित कर रहे थे. उपेंद्र राय ने कहा कि वर्तमान दौर में आम और खास दोनों वर्गों की आवाज बनकर सोशल मीडिया उभरा है. समाज में बड़ी बेचैनी है, हर आदमी कुछ कहना चाहता है. यह सोशल मीडिया की ही ताकत है कि वह आम आदमी को रातों-रात स्टार बना देती है और बड़े देशों में क्रांति भी करवा देती है. एक खबर पर गरीबों को न्याय मिल जाता है लेकिन इसके उलट एक वर्ग ऐसा भी है जो किसी ताकत का दुरुपयोग कर सही बातों को झूठा साबित करने में लगा हुआ है. इजराइली कंपनियों के पास इतना डाटा है कि वह किसी को भी जीरो से हीरो बना देते हैं.
‘आज नेगेटिव और चौंकाने वाली खबरों के प्रति रुझान बढ़ गया’
उपेंद्र राय ने कहा कि एक समय में स्पाइडर-मैन की अलौकिक शक्तियों से पूरा अमेरिका प्रभावित होने लगा. स्पाइडर-मैन ने अपनी शक्तियों का सदुपयोग समाज हित में किया, लेकिन एक एडिटर ने अपने रिपोर्टर और फोटोग्राफर के माध्यम से अमेरिकी समाज को यह भरोसा दिलाया कि स्पाइडर-मैन समाज के लिए खतरा है. उस संपादक ने सच जानते हुए भी नकारात्मक खबरें परोसी. वैसा ही कुछ कार्य हमारे भारतीय समाज में भी हो रहा है. कुछ लोग मक्कारी, फरेब और झूठ का सहारा लेकर हमारे कार्यक्षेत्र में काम कर रहे हैं. आज नेगेटिव और चौंकाने वाली खबरों के प्रति रुझान बढ़ गया है. खून बहाने वाली खबरें आकर्षण का केंद्र बन रही हैं. नकारात्मकता के पीछे पाठक और दर्शक खिंचे चले जा रहे हैं.
उपेंद्र राय ने कहा कि आज के दौर में कई संपादक यह फक्र से कहने लगे हैं कि अखबार में विज्ञापन के बाद जो जगह बच जाती है, वही जगह खबर के लिए शेष है. समाचार पत्र या मीडिया समाज का दर्पण है लेकिन आज हम अपने पेशे के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय ने आगे कहा कि कई मनोविज्ञान शास्त्री यह साबित कर चुके हैं कि आज के दौर में समाचार देखने और पढ़ने से बहुत तनाव हो रहा है. एक दौर में महावीर और बुद्ध के साथ भी हुआ था तो उन्होंने केवल ज्ञान प्राप्त करने के लिए घर परिवार और समाज का त्याग कर दिया था. उन्होंने मान लिया था कि यह समाज हमारे रहने लायक नहीं है. कुंठा और अंधकार से भरे हुए समाज से दूर रहकर उन्होंने केवल ज्ञान प्राप्त किया. जब भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ तो वह मौन में चले गए, तब देवताओं ने उनसे मौन तोड़ने का आग्रह किया. इस पर बुद्ध ने कहा कि मैं किसके लिए बोलूं जो मेरे सामने हैं. उनको मेरे बोलने-नहीं बोलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा और जिन्हें फर्क पड़ेगा उन्हें मेरे प्रवचन की आवश्यकता नहीं. देवताओं ने आग्रह किया कि जो बीच की अवस्था के लोग हैं उनके लिए आप बोलिए. उन्हें एक धक्के की जरूरत है. आज पत्रकारिता की स्थिति भी ऐसे ही कुछ है. आज बेहतर नहीं है तो आने वाला कल बेहतर नहीं होगा. यह सोचकर नहीं जिया जा सकता.
गांधी हॉल में आयोजित इस टॉक शो की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी ने की. सत्र का संचालन स्टेट प्रेस क्लब, मध्य प्रदेश के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल ने किया. अतिथियों का स्वागत हेमंत शर्मा, धरा पांडे, निखिल दवे, और विवेक दम्मानी ने किया. अंत में रविंद्र व्यास ने आभार माना. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन और मीडियाकर्मी मौजूद थे.
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