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BRS सुप्रीमो के चंद्रशेखर राव की याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने किया निपटारा

K Chandrashekar Rao: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच आयोग और जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल एस ने एक संचार रिकॉर्ड पर रखा है

K Chandrashekar Rao Supreme Court

के चंद्रशेखर राव.

K Chandrashekar Rao: बीआरएस सुप्रीमो के चंद्रशेखर राव की ओर से दायर याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने निपटारा कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि जांच आयोग और जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल एस ने एक संचार रिकॉर्ड पर रखा है, जिसमें संकेत दिया गया है कि जस्टिस रेड्डी ने कहा है कि वह उन्हें जांच आयोग के रूप में नियुक्त करने वाली अधिसूचना के अनुसरण में कार्य करना जारी रखने का इरादा नहीं रखते हैं. वहीं वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जस्टिस रेड्डी के स्थान पर वैकल्पिक नियुक्ति के लिए एक अधिसूचना जारी की जाएगी.

जांच आयोग अधिनियम के दायरे में आएगा

राज्य द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि 14 मार्च की अधिसूचना में न्यायिक अभिव्यक्ति का उद्देश्य पूर्व न्यायाधीश के रूप में एक सदस्यीय आयोग की स्थिति को संदर्भित करना था और यह जांच आयोग अधिनियम के दायरे में आएगा. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने यह फैसला दिया है. वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का सीधा मामला. जब भी सरकार बदलती है तो पूर्व मुख्यमंत्री पर मुकदमा होता है.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम स्पष्ट कर देंगे कि इसे न्यायिक जांच कहकर वे इसे आयोग के दायरे से बाहर नहीं ले जा सकते. रोहतगी ने कहा कि आप आयोग में जिम्मेदारी तय नहीं कर सकते. यह टैरिफ के अनुमोदन के लिए था. बिजली संकट था और इस प्रकार राज्य ने छत्तीसगढ़ राज्य से बिजली खरीदी और पीपीए को छत्तीसगढ़ राज्य आयोग और तेलंगाना राज्य आयोग से सिफारिश की जरूरत थी. वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने कहा कि सभी चार अनुबंध यहां हैं.

सीजेआई ने कहा कि हम न्यायिक जांच वाले हिस्से को स्पष्ट करेंगे. रोहतगी ने दलील रखी कि क्या एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले आयोग द्वारा न्यायिक अतिक्रमण हो सकता है? सीजेआई ने कहा लेकिन अगर वे आपको दोषी करार देते हैं तो ऐसा जानबूझकर नहीं किया जा सकता है. चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना हाइकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी. जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान बिजली क्षेत्र में कथित अनियमितताओ की जांच के लिए आयोग में अवैध घोषित करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया था.

राव ने तेलांगाना सरकार के उस आदेश को अवैध घोषित करने की मांग की थी, जिसमें तेलंगाना बिजली वितरण कम्पनियों द्वारा छत्तीसगढ़ से बिजली की खरीद और टीएसजीईएनसीओ द्वारा मनुगुरु में भद्राद्री थर्मल पावर प्लांट और दामार्चेरला में यदाद्री थर्मल प्लांट के निर्माण पर उनकी सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों की सत्यता और औचित्य की न्यायिक जांच करने के लिए जांच आयोग का गठन किया गया है.

-भारत एक्सप्रेस

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