सुप्रीम कोर्ट.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वो बचाए गए बंधुआ मजदूरों को वित्तीय सहायता मुहैया कराने को लेकर एक प्रस्ताव लेकर आएगा. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है. बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराए गए लोगों के मौलिक अधिकारों को प्रभावी तरीके से लागू करने और इस प्रथा को खत्म करने के लिए समुचित नीति बनाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है. मामले की सुनवाई के दौरान उन्हें तत्काल वित्तीय सहायता देने की मांग की गई थी.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एच एस फुल्का ने कहा कि याचिकाकर्ता संगठन ने लगभग 11 हजार बच्चों को बाल मजदूरी से बचाया है, लेकिन उनमें से महज 719 को ही आर्थिक मदद मिली है. फुल्का ने कहा कि ऐसे 10 प्रतिशत मजदूरों को वित्तीय सहायता या मुआवजा नहीं दिया गया है. वहीं एनएचआरसी की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह हितधारकों के साथ बैठकर इस मुद्दे पर चर्चा कर सकती है.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एनएचआरसी की ओर से दी गई जानकारी के बाद मानवाधिकार आयोग को याचिकाकर्ताओं और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करने वित्तीय मदद देने के लिए तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने को कहा है. कोर्ट चार हफ्ते बाद इस मामले में अगिला सुनवाई करेगा.
बता दें कि इस मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जुलाई 2022 में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और एनएचआरसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिकाकर्ताओं में से एक नए कहा है कि उसे और कुछ अन्य बंधुआ मजदूरों को 28 फरवरी 2019 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के एक ईट भट्ठे से बचाया गया और रिहाकिया गया, जहां उन्हें बिहार के गया जिले में उनके पैतृक गांव से एक अपंजीकृत ठेकेदार की तरफ से तस्करी कर लाया गया था.
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-भारत एक्सप्रेस
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