दिल्ली हाईकोर्ट
पैकेज्ड खाद्य में निर्माताओं द्वारा अतिरिक्त चीनी के इस्तेमाल के खिलाफ दायर याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. याचिका में एफएसएसएआई अधिनियम के तहत आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी. खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 41 खाद्य सुरक्षा अधिकारी और नामित अधिकारी को अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों और विनियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार देती है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा याचिकाकर्ता के लिए इस संबंध में बीएनएसएस की धारा 175(3) के तहत आवेदन दायर करने का रास्ता खुला है, जो सीआरपीसी की धारा 156(3) के बराबर है.
याचिकाकर्ता-संगठन के अध्यक्ष ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर दावा किया कि पैकेज्ड खाद्य निर्माता खाद्य सुरक्षा और मानक (विज्ञापन और दावे) विनियम, 2018 और खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम, 2020 का उल्लंघन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई के नियमों के अनुसार, चीनी की मात्रा अनुमेय सीमा के भीतर होनी चाहिए, यानी एक दिन में एक व्यक्ति द्वारा कुल कैलोरी सेवन का 20 प्रतिशत है. हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि पैकेज्ड बेकरी उत्पाद, सॉस, बिस्कुट आदि बेचने वाले लोग बहुत अधिक मार्जिन से सीमा पार कर रहे हैं.
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि चीनी डोपामाइन पर काम करती है और इसे कोकीन के उपयोग के बराबर माना जाता है. उन्होंने कहा जब डोपामाइन निकलता है, तो उपभोक्ता नशे का आदी हो जाता है. याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि अत्यधिक मात्रा में चीनी का सेवन बचपन में मोटापे, चयापचय और अन्य शारीरिक विकारों का मुख्य कारण है जो आजकल आम हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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