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क्या है संसद का Anti-Sabotage चेकिंग, जिसके दौरान कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के नीचे मिला कैश और मच गया बवाल

संसद सत्र के दौरान केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की एंटी सबोटाज टीमें हर दिन जांच करती हैं. टीमों के पास खोजी कुत्ते होते हैं जिन्हें विशेष रूप से विस्फोटकों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.

संसद. (फोटो: IANS)

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को सदन में घोषणा की कि 5 दिसंबर को नियमित एंटी सबोटाज (Anti-Sabotage) सुरक्षा जांच के दौरान सीट संख्या 222 से करेंसी नोटों की गड्डी बरामद की गई, जो वर्तमान में कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है. इसके बाद सदन में जोरदार हंगामा हुआ. इस मुद्दे को लेकर भाजपा और कांग्रेस संसद आमने-सामने आ गए और जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. भाजपा सांसदों ने इसे असाधारण और गंभीर घटना बताया. केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि यह सदन की गरिमा पर एक चोट है. उन्होंने कहा, ‘मुझे भरोसा दिलाया गया है कि मामले की विस्तृत जांच की जाएगी. हमारे विपक्ष के नेता वरिष्ठ सदस्य हैं और मुझे उम्मीद थी कि वे कहेंगे कि जांच होनी चाहिए.’

मामले को लेकर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, जब तक सच का पता नहीं लग जाता, तब तक किसी का नाम नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘जांच के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए. जांच से पहले सदस्य का नाम नहीं लिया जाना चाहिए था. आपने कहा कि मामले की जांच चल रही है, लेकिन जांच किए बिना आप किसी खास व्यक्ति या खास सीट के बारे में कैसे बता सकते हैं?’ खड़गे के इस बयान पर सत्ता पक्ष ने जबरदस्त ऐतराज किया और हंगामा करने लगे.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने संसद के उच्च सदन राज्यसभा में अपनी बेंच के नीचे मिले नोटों की गड्डी को लेकर अपनी सफाई दी है. उन्होंने मामले जांच की मांग करते हुए कहा कि वह गुरुवार को सदन में सिर्फ 3-4 मिनट ही रुके थे.

संसद में एंटी सबोटाज सुरक्षा अभ्यास

इस हंगामे के बीच हम आपको बता रहे हैं कि Anti-Sabotage Checking क्या है. इसे कौन और कैसे संचालित करता है. संसद सत्र के दौरान केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की एंटी सबोटाज टीमें हर दिन जांच करती हैं. टीमों के पास खोजी कुत्ते होते हैं जिन्हें विशेष रूप से विस्फोटकों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. हर सुबह लगभग तीन घंटे तक दोनों सदनों की हर सीट की जांच की जाती है. जब संसद के कर्मचारी वापस चले जाते हैं तो सदन को CISF सुरक्षा टीम को सौंप दिया जाता है.

टीमें संदिग्ध वस्तुओं, ड्यूटी के क्षेत्र में कोई मानवीय अतिक्रमण के संकेतों या मोटे तौर पर किसी भी असामान्य चीज की तलाश करती हैं. यदि टीम को कुछ भी संदिग्ध लगता है, तो यूनिट प्रभारी और उसके वरिष्ठ अधिकारी के माध्यम से एस्केलेशन मैट्रिक्स फॉलो किया जाता है.

कब से किया जा रहा


मई 2024 में CRPF के लगभग 1,400 कर्मियों को इस ड्यूटी से हटा दिए जाने के बाद CISF ने संसद परिसर में सभी आतंकवाद विरोधी और एंटी सबोटाज सुरक्षा जिम्मेदारियों को अपने हाथ में ले लिया. वर्तमान में 3,317 CISF जवानों की एक टुकड़ी पुराने और नए संसद भवन और परिसर में अन्य भवनों की सुरक्षा के लिए तैनात है. सीआईएसएफ के आने से पहले, तीन एजेंसियों, CRPF, दिल्ली पुलिस और संसद की अपनी सुरक्षा सेवाओं की एक संयुक्त टीम ने इमारत में एंटी सबोटाज सुरक्षा अभ्यास किया था. CRPF और दिल्ली पुलिस को अब परिसर से हटा दिया गया है और संसद सुरक्षा सेवा (PSS) के कर्मचारियों को पूरी तरह से प्रशासनिक कार्यों में फिर से तैनात किया गया है.

संसद की सुरक्षा CISF को क्यों सौंपी?

इस बदलाव की वजह 13 दिसंबर, 2023 को परिसर में हुई सुरक्षा में गंभीर चूक थी. जब दो व्यक्ति शून्यकाल के दौरान सार्वजनिक गैलरी से लोकसभा कक्ष में कूद गए और पीले रंग के धुएं के कनस्तर छोड़े और नारे लगाए. इससे पहले कि सांसदों ने उन्हें काबू कर लिया. लगभग उसी समय दो अन्य व्यक्तियों ने रंगीन धुएं के समान कनस्तर छोड़े और भवन के बाहर नारे लगाए.

हालांकि यह चूक 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की सालगिरह पर हुई थी, लेकिन पिछले साल की घटना में आतंकवाद का कोई पहलू नहीं था.

CRPF महानिदेशक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन संसद परिसर की समग्र सुरक्षा की जांच करने और उपयुक्त सिफारिशें करने के लिए किया गया था. CISF ने 20 मई को संसद परिसर का पूरा प्रभार अपने हाथ में ले लिया.


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-भारत एक्सप्रेस



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