सुप्रीम कोर्ट.
दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट ने बताया कि राजधानी में पटाखों की बिक्री और स्टॉक पर पूरे साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. इसपर कोर्ट ने कहा कि इसका असर तभी दिखेगा जब बाकी राज्य भी ऐसा करेंगे. कोर्ट ने यूपी और हरियाणा से भी ऐसा करने को कहा है. वायु प्रदूषण संकट से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए की गई कार्रवाई की निगरानी कर रहा है.
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली के मुख्य सचिव को फटकार लगाई है. कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव की ओर से दाखिल हलफनामे को देखने के बाद फटकार लगाई है. कोर्ट ने दिल्ली सहित अन्य राज्यों को ग्रेप-4 से प्रभावित मजदूरों को मुआवजा देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोर्ट के आदेश का पालन राज्य सरकारों द्वारा नहीं किया गया तो उनके खिलाफ अवमानना का मामला चलाने पर विचार किया जा सकता है.
कोर्ट 15 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. वहीं एमिकस क्यूरी की ओर से दी गई रिपोर्ट को देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि अभी भी हर दिन दिल्ली में 3000 टन से ज्यादा ठोस कचरा गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल में डाला जा रहा है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 का पालन नही हो रहा है. इस स्थिति को स्वीकार नही किया जा सकता. अगर ऐसा ही रह तो दिल्ली में विकास से जुड़ी गतिविधियों पर रोक लगानी पड़ेगी ताकि ठोस कचरा में कमी आ सके.
बता दें कि 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने लैंडफिल साइटों पर अनियंत्रित कचरा जमा होने, निर्माण से संबंधित कचरे और कचरा भंडारण क्षेत्रों में आग लगने की संभावना पर चिंता जताई थी. कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को 2016 के नियमों को लागू करने पर चर्चा करने के लिए एमसीडी सहित संबंधित हितधारकों के साथ बैठक बुलाने का निर्देश दिया था.
इससे पहले सुनवाई में कोर्ट ने एमसीडी की इस दुखद स्थिति पर कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि राजधानी में प्रतिदिन 11000 टन से अधिक ठोस कचरा उत्पन्न होता है. जबकि प्रसंस्करण संयंत्रों की दैनिक.क्षमता केवल 8073 टन है. एमसीडी के हलफनामे का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा था कि प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 11000 टन कचरे से निपटने के लिए 2027 तक उपचार सुविधाएं बनाने की संभावना भी नही है.
-भारत एक्सप्रेस
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