एक चिकित्सकीय मील का पत्थर स्थापित करते हुए, जयपुर में एक कार्डियोटोरासिक और वाहिकीय सर्जरी (CTVS) विशेषज्ञ ने गुरुग्राम से रहते हुए 286 किलोमीटर की दूरी से दो गंभीर मरीजों पर सफल ऑपरेशन किया. यह ऑपरेशन चिकित्सा क्षेत्र में नई तकनीकों और टेलीमेडिसिन के उपयोग को प्रदर्शित करता है, जहां विशेषज्ञ ने रियल-टाइम में ऑपरेशन के सभी महत्वपूर्ण कदमों को नियंत्रित किया और मरीजों की सर्जरी की.
यह ऑपरेशन विशेष रूप से उन्नत तकनीकी संसाधनों का उपयोग करके किया गया, जिसमें डॉक्टर ने गुरुग्राम स्थित अपने नियंत्रण कक्ष से ही जयपुर में मौजूद मरीजों की सर्जरी की. डॉक्टर ने अपने ऑपरेशन थिएटर के कैमरे और रिमोट-गाइडेड सर्जिकल उपकरणों के माध्यम से सर्जरी की प्रक्रिया का संचालन किया. यह एक प्रकार की टेली-सर्जरी थी, जो भारत में अपनी तरह की पहली घटना मानी जा रही है.
कैसे हुआ ऑपरेशन?
इस ऑपरेशन में डॉक्टर ने स्मार्ट टेलीमेडिसिन तकनीक का इस्तेमाल किया, जिससे वह सर्जिकल प्रक्रिया को बिना शारीरिक रूप से ऑपरेशन थिएटर में मौजूद हुए भी नियंत्रित कर सके. ऑपरेशन के दौरान, डॉक्टर ने सर्जिकल उपकरणों का रिमोटली संचालन किया, जबकि ऑपरेशन थिएटर में स्थानीय चिकित्सा टीम ने डॉक्टर की निगरानी और मार्गदर्शन के तहत सर्जरी की. यह तकनीकी उन्नति यह साबित करती है कि दूरस्थ क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ इलाज की सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकती है.
सर्जरी की चुनौतियाँ और समाधान
इस प्रकार के ऑपरेशन में मुख्य चुनौती यह थी कि सर्जिकल टीम और विशेषज्ञ के बीच सही और निर्बाध संचार बनाए रखा जाए. इसके लिए, अत्याधुनिक 5जी नेटवर्क और अन्य डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल किया गया, जिससे डॉक्टर ने ऑपरेशन के हर चरण में निरंतर मार्गदर्शन और निगरानी प्रदान की.
इस ऑपरेशन के बारे में बताते हुए, कार्डियोटोरासिक और वाहिकीय सर्जरी के विशेषज्ञ ने कहा, “यह एक बहुत ही रोमांचक और चुनौतीपूर्ण अनुभव था. तकनीकी दृष्टि से यह ऑपरेशन हमारे लिए एक नई दिशा प्रस्तुत करता है, जो दूरस्थ स्थानों पर रोगियों तक विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं पहुंचाने के लिए एक संभावनाशील तरीका हो सकता है. टेलीमेडिसिन और रिमोट सर्जरी में भविष्य की संभावना बहुत अधिक है और यह सुनिश्चित करता है कि विशेषज्ञ सेवाएं कहीं भी उपलब्ध हो सकती हैं.”
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ऑपरेशन की सफलता और मरीजों की स्थिति
दोनों मरीजों की सर्जरी सफल रही, और उन्हें सर्जरी के बाद रिकवरी के लिए निगरानी में रखा गया है. एक मरीज को दिल से संबंधित गंभीर समस्या थी, जबकि दूसरे मरीज की स्थिति में नसों और धमनियों से जुड़ी जटिलताएँ थीं. दोनों ही मरीजों की हालत स्थिर है और उनका इलाज जारी है.
यह टेली-सर्जरी के क्षेत्र में एक नई क्रांति का संकेत है, जो भविष्य में दूरदराज के क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ इलाज उपलब्ध कराएगी. इस तरह की तकनीक से न केवल समय और दूरी की बाधाएँ कम होंगी, बल्कि रोगियों को उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं घर बैठे मिल सकेंगी. इस तकनीकी पहल के जरिए, देश में सर्जिकल सेवाओं की उपलब्धता में सुधार होगा, और विशेषकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों को लाभ मिलेगा.
जयपुर में हुए इस टेली-सर्जरी ऑपरेशन ने यह सिद्ध कर दिया कि चिकित्सा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग मरीजों के इलाज को और अधिक प्रभावी बना सकता है. यह घटना न केवल भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक उपलब्धि है, बल्कि विश्व स्तर पर भी टेलीमेडिसिन और रिमोट सर्जरी के महत्व को उजागर करती है. इस नई तकनीकी दिशा ने चिकित्सा सेवाओं को एक नई राह दिखाई है, जहां भौतिक दूरी अब एक बाधा नहीं है.
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