सपा प्रमुख अखिलेश यादव
सत्य प्रकाश सिंह
UP Politics: यूपी निकाय चुनाव में शिकस्त के बाद समाजवादी पार्टी लगातार समीक्षा में जुटी है. निकाय चुनाव के परिणामों के बाद अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यालय पर अलग- अलग जनपदों से आये कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से मुलाकात की और लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कमर कसने की नसीहत दी है. इसी के साथ अखिलेश यादव ने निजी कार्यक्रमों में शामिल होने के बहाने जनपदों का दौरा भी शुरु कर दिया है. वहीं खबर सामने आ रही है कि अब अखिलेश भाजपा विरोधी दलों से हाथ भी मिला सकते हैं. यानी लोकसभा चुनाव के लिए अगर अब सपा को गठबंधन की डगर भी पकड़नी पड़े इससे उन्हें गुरेज नहीं है.
निकाय चुनाव में मिली हार से सबक लेते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव अब ताबड़तोड़ कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक 20 मई को बलिया और गोरखपुर का दौरा था, लेकिन ताई के निधन के कारण उन्होंने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए और ताई के अंतिम यात्रा में शामिल होने को प्रथामिकता देते हुए सैफई चले गए. हालांकि कि खबर सामने आ रही है कि, 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर अखिलेश 23 मई को जिलाध्यक्षों, महानगर अध्यक्षों के साथ बैठक करेंगे. अखिलेश कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठकों में अपनी गलतियों से सीखने और 2024 का लक्ष्य ध्यान में रखते हुए तैयारियों में अभी से जुट जाने के निर्देश देंगे.
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अब लोकसभा का लेकर सतर्क
अखिलेश यादव विधानसभा के बाद निकाय चुनाव में करारी हार के बाद लोकसभा 2024 के चुनाव को लेकर गंभीर हैं. 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए अखिलेश यादव कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहते.
विधानपरिषद उपचुनाव में खेला पिछड़ा और दलित कार्ड
बता दें कि अभी हाल ही में सपा ने विधानपरिषद उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे हैं, लेकिन संख्या बल के आधार पर सपा को हार का समना करना पड़ सकता है. हालांकि सपा जीत के तमाम दावे ठीक निकाय चुनाव की तरह ही कर रही है. सपा ने विधान परिषद उपचुनाव में अपने दोनों प्रत्याशियों को उतारकर पिछड़ा और दलित कार्ड खेला है, लेकिन इसका विशेष लाभ सपा को होता दिखाई नहीं दे रहा है. यही कारण है कि 2024 लोकसभा चुनाव का किला भेदना सपा के लिए काफी जरुरी है. इस बात को अखिलेश के अलावा पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी बखूबी समझ रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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