उपेन्द्र राय, सीएमडी / एडिटर-इन-चीफ, भारत एक्सप्रेस
भारत एक्सप्रेस
मोदी है तो मुमकिन है..
प्रधानमंत्री मोदी के कुशल और दमदार नेतृत्व से वैश्विक स्तर पर आज भारत अपने देश और उसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए बिना संकोच अपनी बात रखने में सक्षम है।
जापान की ‘आपदा’, भारत में ‘अवसर’
2008 में 12 करोड़ 80 लाख के उच्चतम शिखर से जापान की आबादी केवल डेढ़ दशक में घटकर 34 लाख से अधिक की गिरावट के साथ 12 करोड़ 46 लाख रह गई है।
विश्वगुरु बनने की ‘कूटनीति’
ऐसे में ‘2023 को भारत का साल’ बताने वाली अमेरिका की भविष्यवाणी सच साबित होती दिख रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करवाने के हमारे प्रयास इस सफर को और आसान कर सकते हैं।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट, विदेशी साजिश या खुफिया सोर्स?
हिंडनबर्ग से पहले फिच ग्रुप की क्रेडिट साइट्स ने भी अगस्त 2022 में रिपोर्ट जारी कर बताया था कि अडानी ग्रुप पर भारी कर्ज का बोझ है।
जीत से आगाज, 2024 का शंखनाद
कांग्रेस भी शायद जमीन की हकीकत को समझ रही है। रायपुर के अधिवेशन में उसने एक तरह से ये बात मान ली है कि गठजोड़ उसके लिए भी जरूरी है और गठजोड़ बनाए बिना चुनावी वैतरणी पार करने का उसका माद्दा नहीं बचा है।
चीनी विदेश मंत्री से जयशंकर की मुलाकात: तनाव के बीच पिघलेगी बर्फ!
चीनी आक्रामकता, भारत की त्वरित, दृढ़ प्रतिक्रिया और 3 वर्षों के गतिरोध से चीन को कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ है.
भारत अब ‘सॉफ्ट स्टेट’ नहीं: जॉर्ज सोरोस, हिंडनबर्ग और बीबीसी को सीधा संदेश
पीएम मोदी के गतिशील नेतृत्व के तहत भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन ये दर्शाते हैं यह अब एक 'सॉफ्ट स्टेट' नहीं है बल्कि एक मजबूत, मुखर देश है जो अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए साहसिक कदम उठाने को तैयार है.
आड़े आए पाक के कर्म, भारत कैसे निभाए पड़ोसी धर्म?
भारत तो वैसे भी वसुधैव कुटुंबकम की संस्कृति वाला देश रहा है जिसमें पड़ोसी ही क्या पूरी दुनिया को एक परिवार मानने का भाव है। सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने इस महान परंपरा को कई मौकों पर नया आयाम दिया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध का एक साल: संवाद से ही निकलेगा समाधान
भारत ने युद्ध पर शुरू से ही एक तटस्थ रुख रखा है और रूस की कार्रवाई की सार्वजनिक रूप से निंदा करने से भी परहेज किया है।
हिंडनबर्ग एपिसोड से और मजबूत होकर निकलेंगे गौतम अडानी, जानिए क्यों…
अय्यर उन आलोचकों से असहमत हैं जो इस बात का दावा करते हैं कि अडानी मुख्य रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर में कारोबार करते हैं, जहां वास्तविक प्रतिभा की तुलना में सरकार की अनुकूलता अधिक महत्वपूर्ण है.