
विनीत नारायण, वरिष्ठ पत्रकार
भारत एक्सप्रेस
डिजिटल युग में बच्चे गुस्सैल और आक्रामक क्यों?
इंटरनेट पर उपलब्ध कई गेम्स और वीडियो में हिंसा, आक्रामकता और अनुचित व्यवहार को दर्शाया जाता है. बच्चे, जिनका दिमाग अभी परिपक्व नहीं हुआ है, इन सामग्रियों को देखकर हिंसक व्यवहार को सामान्य मानने लगते हैं.
अचानक मौतें क्या ‘कोविशील्ड’ के कारण हो रही हैं?
क्या कोविशील्ड वैक्सीन के कारण हो रही हैं अचानक मौतें? इस लेख में जानें युवाओं की असामयिक मृत्यु के कारण, वैक्सीन के दुष्परिणाम और डॉ. सुसन राज के डिटॉक्स समाधान के बारे में.
सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष में नौ महीने रहना: वरदान या चुनौती?
सुनीता विलियम्स का यह लंबा प्रवास विज्ञान के लिए एक अनमोल अवसर साबित हुआ. आईएसएस पर रहते हुए उन्होंने 150 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें 900 घंटे से ज्यादा समय रिसर्च में बिताया.
देश के शमशान घाटों का कायाकल्प हो
मौत कैसी भी क्यों न हो परिजनों को भारी पीड़ा देती है. घर का बुजुर्ग भी अगर चला जाए तो एक ऐसा शून्य छोड़ जाता है जो फिर कभी भरा नहीं जा सकता.
कब सुधरेंगी स्वास्थ्य सेवाएं?
आज पचहत्तर वर्ष बाद भी स्वास्थ सेवााओं की हालत यह है कि गरीब की सेहत सुधरना तो दूर स्वास्थ्य सेवाओं की ही सेहत खराब दिखाई देती है. विभिन्न दलों की सरकारों के शासन के बावजूद नए-नए नारों से, नए-नए वायदों से, नई-नई योजनाओं के सपने दिखाकर देश का पैसा बर्बाद किया जाता रहा है.
हॉलीवुड जलकर हो रहा है खाक
शुरू में महज 10 एकड़ के इलाके में लगी ये आग कुछ ही दिनों में 17,200 एकड़ में फैल गई. पूरे शहर में धुएं के बादल छाए हुए हैं. इस भयावह आग से अभी तक अनुमानित लगभग 135-150 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है.
देशी गाय के वैज्ञानिक महत्व को समझने की ज़रूरत
जबसे मुसलमान शासक भारत में आए तब से गौवंश की हत्या होनी शुरू हुई. हिन्दू लाख समझाते रहे कि गौमाता सारे संसार की जननी के समान है.
डॉ मनमोहन सिंह: सबके मन को मोहा
डॉ. मनमोहन सिंह की सादगी और विनम्रता पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भी उन्होंने जिस आत्मीयता और सरलता का परिचय दिया, वह हमेशा यादगार और अनुकरणीय रहेगा.
मुसलमान ज़रा सोचें
सवाल बिल्कुल जायज है. क्या ऐसा नहीं है कि देश के साथ अनेक मोर्चों पर गद्दारी करने वालों में विभिन्न प्रांतों के अनेक हिन्दू ही शामिल रहे हैं तो फिर ऐसी अपेक्षा मुसलमानों से ही क्यों?
रोज़गारपरक शिक्षा कैसे हो?
Employment Oriented Education: आय दिन अख़बारों में पढ़ने में आता है जिसमें देश में चपरासी की नौकरी के लिए लाखों ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट, बी.टेक व एमबीए जैसी डिग्री धारकों की दुर्दशा का वर्णन किया जाता है.