विनीत नारायण, वरिष्ठ पत्रकार
भारत एक्सप्रेस
आईआईटी की डिग्री भी नाकाम रही
अनौपचारिक रोज़गार के मामले में भारत दक्षिण एशियाई देशों में सबसे ऊपर है. इसका मतलब है, कि हमारे देश में करोड़ों मज़दूर कम मज़दूरी पर, बेहद मुश्किल हालातों में काम करने पर मजबूर हैं, जहां इन्हें अपने बुनियादी हक़ भी प्राप्त नहीं हैं. इन्हें नौकरी देने वाले जब चाहे रखें, जब चाहें निकाल दें.
मुख्तार अंसारी की मौत से सबक
Mukhtar Ansari Death: आज़ादी के बाद से 1990 तक अपराधी, राजनेता नहीं बनते थे. क्योंकि हर दल अपनी छवि न बिगड़े, इसकी चिंता करता था. पर ऐसा नहीं था कि अपराधियों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त न रहा हो.
लोकतंत्र में जानने का अधिकार
‘इलेक्टोरल बांड्स’ पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को एक अच्छी पहल माना जा रहा है। इस आदेश से चुनावों में मिलने वाली सहयोग राशि पर पारदर्शिता दिखाई देगी।
इंडिया एलायंस क्यों बिखरा ?
‘इंडिया’ एलायंस के घटक दलों ने इतना भी अनुशासन नहीं रखा कि वे दूसरे दलों पर नकारात्मक बयानबाजी न करें। जिसका ग़लत संदेश गया। इस एलायंस के बनते ही सीटों के बंटवारे का काम हो जाना चाहिए था। जिससे उम्मीदवारों को अपने-अपने क्षेत्र में जनसंपर्क करने के लिए काफी समय मिल जाता।
कैसे सार्थक हो श्री राम की अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा?
आज हम सब ‘राममय’ भाव में आकंठ डूबे हुए हैं। अयोध्या का यह विकास भारत के सनातन धर्मियों की आस्था के साथ ही हमारी सांस्कृतिक अस्मिता से भी जुड़ा हुआ है। पर उत्साह के अतिरेक में हमें अपनी भावनाओं को ग़लत दिशा में जाने से रोकना होगा।
अयोध्या: प्राण प्रतिष्ठा में विवाद क्यों?
श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन को खड़ा करने के लिए आरएसएस, विहिप व भाजपा ने हर संत और सम्प्रदाय का द्वार खटखटाया था। यह दुर्भाग्य है कि आज शंकराचार्यों जैसे अनेक सम्मानित संत और विहिप, आरएसएस व भाजपा आमने सामने खड़े हो गये हैं।
रियुमोटाइड आर्थराइटिस: इलाज संभव है?
यह एक क़िस्म का गठिया रोग है। ये क्यों, किसे और कब होता है इसका कोई स्पष्ट कारण पता नहीं हैं। पर चिंता की बात यह है कि ये काफ़ी लोगों को होने लगा है।
क्यों जरूरी था अयोध्या का भव्य विकास?
अगर किसी कारण से किसी प्राण प्रतिष्ठित विग्रह को या उसके मंदिर को विकास की योजनाओं के लिए वहाँ से हटाना आवश्यक हो तो उसका भी शास्त्रों में पूरा विधि-विधान है। जिसका पालन करके उन्हें श्रद्धा पूर्वक वहाँ से नये स्थान पर ले ज़ाया जा सकता है।
नौजवानों में प्रदूषण से बढ़ता कैंसर का खतरा
लगातार चुनाव जीतने की राजनीति में जुटे रहने वाले दल प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दों पर भी आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।
EVM पर रोने से क्या होगा?
बीते कुछ चुनावों में, देश के अलग अलग प्रान्तों में, यह देखा गया है कि इलाके की जनता की भारी नाराज़गी के बावजूद वहां के मौजूदा विधायक या सांसद ने पिछले चुनावों के मुकाबले काफ़ी अधिक संख्या से जीत हासिल की.