IPOs: FY23 का आज आखिरी दिन है. ये साल शेयर मार्केट के लिहाज से बेहद तूफानी रहा यानि फतार-चढाव का दौर लगातार चलता रहा. शेयर मार्केट की इस उथल-पुथल का असर आईपीओ पर बेहद बुरा पड़ा. परिणाम कि इस बार आपीओ फंडिंग बीते साल की आधी ही हुई. ये हम नहीं कह रहे बल्कि प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक इस फाइनेंशियल ईयर में SEBI के पास केवल 66 कंपनियों ने ऑफर डॉक्यूमेंट्स पेश किये थे. जबकि 2022 में ये संख्या 144 थी यानि FY22 से 54 प्रतिशत कम. बात यहीं खत्म नहीं होती. FY 23 में टोटल 34 कंपनियां 51,482 करोड़ रुपये का IPO लेकर बाजार में आईं. जबकि FY 22 में 53 कंपनियां 1.11 लाख करोड़ रुपये के आईपीओ के बाद बाजार में लिस्ट हुईं थी.
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LIC और Delhivery बने IPO के विनर
जितनी कंपनियां IPOs लेकर आई. इनमें अकेले LIC और Delhivery के आईपीओ सबसे आगे रहे. LIC ने आईपीओ के माध्यम से 20,557 करोड़ रुपये, जो टोटल फंड का लगभग 39 फीसदी है. जबकि Delhivery ने 5235 करोड़ रुपए जुटाए. वहां अगर टाइमिंग की बात करें तो सबसे ज्यादा आईपीओ मई, नवंबर और दिसंबर तो सबसे कम आईपीओ इसी मार्च में आए हैं. आईपीओ के लिहाज से ये साल फीका ही रहा क्योंकि न्यू एज टेक कंपनियों के आईपीओ भी बेहद कम आए.
निवेशकों को हाथ लगी निराशा-
आईपीओ की बात करें तो इस साल आईपीओ के प्रति रीटेल इंवेस्टर्स में भी ज्यादा अट्रैक्शन नहीं दिखाई पड़ा. बीते साल की तुलना में रीटेल निवेशकों ने आईपीओ में पार्टीसिपेट कम किया था. इस साल रीटेल इंवेस्टर्स ने 6 लाख से कम एप्लीकेशन बिड किए जबकि इसके पहले ये संख्या 13 लाख थी. वहीं इस साल इंवेस्टर्स को लिस्टिंग गेन भी कम ही मिला है. FY22 में जहां निवेशकों को 32 फीसदी का लिस्टिंग गेन मिला था वहीं इस साल निवेशकों को मात्र 9 फीसदी से संतोष करना पड़ा.