

वर्ल्ड बैंक के ऑपरेशंस की मैनेजिंग डायरेक्टर Anna Bjerde के अनुसार, भारत यदि अपनी आर्थिक वृद्धि को बनाए रखता है तो 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन सकता है. अन्ना ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत के लिए अपनी मजबूत आर्थिक बुनियादी बातों को बनाए रखना और एक विविध व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करना इस यात्रा के लिए महत्वपूर्ण होगा.
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर किस प्रकार के जोखिम हैं?
Anna Bjerde ने कहा कि देशों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (global value chains) के एकीकरण से लाभ होता है. इसके माध्यम से न केवल निवेश बढ़ता है, बल्कि तकनीकी नवाचार और नए बाजारों की संभावनाओं का भी लाभ मिलता है. भारत समेत कई देशों ने अन्य देशों के साथ समझौते किए हैं ताकि वे अपने बाजारों को विविध बना सकें और नए अवसर पैदा कर सकें.
उन्होंने बताया कि वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था कठिन और अनिश्चित है और यह स्थिति कुछ और समय तक जारी रह सकती है. वर्ल्ड बैंक का मानना है कि देशों को इस प्रकार के जोखिमों का सामना करने के लिए सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है.
भारत की विकास यात्रा और आवश्यक संरचनात्मक सुधार
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में शानदार वृद्धि देखी है. 2000 से 2019 के बीच, भारत का औसत वृद्धि दर लगभग 6.6% रहा, जो बहुत ही प्रशंसनीय है. कोविड-19 के दौरान भारत की वृद्धि दर में गिरावट आई, जैसा कि अन्य देशों में भी हुआ, लेकिन इसके बाद भारत की वृद्धि पुनः तेज़ हो गई. अन्ना ने भारत के लिए 2047 तक एक विकसित देश बनने की उम्मीद जताई और कहा कि इसके लिए औसतन 7.8% की वार्षिक वृद्धि दर की आवश्यकता होगी.
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को तीन प्रमुख क्षेत्रों में सुधार करने होंगे:
निवेश-से-जीडीपी अनुपात में वृद्धि: भारत को आने वाले दशक में इस अनुपात को लगभग 33% से बढ़ाकर 40% करना होगा, जिससे उसकी वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा.
महिला श्रम बल में वृद्धि: अन्ना ने कहा कि यदि भारत महिला श्रम बल भागीदारी को 35.6% से बढ़ाकर 50% कर सकता है, तो इससे जीडीपी में एक प्रतिशत का इजाफा हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत ने महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी बढ़ाने के लिए शानदार कदम उठाए हैं, जैसे कि बेहतर बुनियादी ढांचा, परिवहन, और सुरक्षा में सुधार.
उत्पादकता में वृद्धि: भारत को तकनीकी अपनाने और नवाचार में बदलाव के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि करनी होगी. इन तीन सुधारों को लागू करने से भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन सकता है.
वैश्विक व्यापार परिवेश में भारत को कैसे नेविगेट करना चाहिए?
जब वैश्विक स्तर पर देशों की ओर से आंतरिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है, भारत की स्थिति काफी मजबूत है. पहला, भारत एक बड़ा घरेलू बाजार है, जिससे उसे लचीलापन मिलता है. दूसरा, भारत की आर्थिक नीतियां मजबूत हैं, जो उसे बाहरी शॉक से बचाती हैं. तीसरा, भारत ने अपने व्यापारिक साझेदारों की विविधता बढ़ाई है और यह एक सकारात्मक कदम है.
भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बने रहना चाहिए, क्योंकि यह मध्यम अवधि में अच्छा साबित हो सकता है. मजबूत घरेलू बाजार, मजबूत आर्थिक बुनियादी बातें और विविध व्यापारिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाए रखना भारत के लिए जरूरी है.
भारत को वर्ल्ड बैंक से किस प्रकार की वित्तीय सहायता मिलेगी?
Anna Bjerde ने कहा कि भारत यह तय करेगा कि उसे बैंक समूह से क्या चाहिए. वर्ल्ड बैंक समूह न केवल वित्तीय मदद दे सकता है, बल्कि भारत को अपने ज्ञान और वैश्विक विशेषज्ञता का भी लाभ मिलेगा. इसके साथ ही, भारत द्वारा उत्पन्न ज्ञान से अन्य देशों को भी लाभ मिल सकता है. इस साझेदारी को एक द्विदिशीय मार्ग के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें भारत अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करता है, जिससे अन्य देशों को लाभ होता है.
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