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भारत की आर्थिक यात्रा: स्वतंत्रता के बाद की असाधारण उपलब्धियाँ

भारत 77 वर्षों में विदेशी शासन से मुक्त होकर एक आत्मनिर्भर और वैश्विक विनिर्माण हब बन चुका है, जो विकास और प्रौद्योगिकी में नवाचार के लिए आदर्श बन रहा है.

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भारत, जो 77 साल पहले विदेशी शासन की जंजीरों से मुक्त हुआ था, आज एक आत्मनिर्भर और प्रौद्योगिकियों से लैस राष्ट्र बन चुका है. जब भारत को संसाधनों की कमी के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था, तब आज भारत ने दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि कैसे मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद एक राष्ट्र अपनी ताकत और योजनाओं के जरिए दुनिया में अपनी पहचान बना सकता है. भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और सरकार की समर्थ नीतियों ने उसे न सिर्फ अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बना दिया है, बल्कि वैश्विक बाजार में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में ला खड़ा किया है.

भारत का वैश्विक संदर्भ में महत्व बढ़ता जा रहा है

भारत आज दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते देशों में से एक बन चुका है. वैश्विक कंपनियों के लिए यह एक आकर्षक निवेश स्थल है, जो भारत की नीति “मेक इन इंडिया” के तहत नए अवसरों का लाभ उठा रही हैं. इसके साथ ही भारत अब न सिर्फ एक वैश्विक विनिर्माण और नवाचार केंद्र बन गया है, बल्कि यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक प्रमुख और सामरिक स्थान बन चुका है. भारत का मजबूत और निरंतर बढ़ता आर्थिक ढांचा, नवाचार के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र और युवा जनसांख्यिकी उसे वैश्विक कंपनियों के लिए एक आदर्श स्थान बना देती है.

भारत में उद्योग के विकास के प्रमुख कारक

भारत में वृद्धि के कई कारक हैं, जिनमें सरकार की प्रोत्साहन योजनाएँ, प्रौद्योगिकी में वृद्धि, और कार्यबल का कौशल शामिल है. हाल ही में पेश किए गए 2025 के केंद्रीय बजट में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन का ऐलान किया गया है. इस मिशन का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के विनिर्माण उद्यमों के लिए सहूलियत और लागत में कमी लाना है, ताकि भारत में एक गतिशील और प्रतिस्पर्धी विनिर्माण उद्योग विकसित हो सके.

भारत में तकनीकी नवाचार का प्रभाव

भारत में होने वाले तकनीकी नवाचार, जैसे कि इंडस्ट्री 4.0, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और रोबोटिक्स, विनिर्माण प्रक्रियाओं को बदल रहे हैं. ये तकनीकियां न केवल उत्पादन प्रक्रिया में सटीकता और दक्षता ला रही हैं, बल्कि भारत के उद्योगों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बना रही हैं. इससे भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल रहा है, और वह एक प्रमुख विनिर्माण निवेश स्थल बनता जा रहा है.

कौशल विकास और कार्यबल का योगदान

भारत का युवा और कुशल श्रमिक वर्ग वैश्विक कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति बन चुका है. सरकार के द्वारा श्रमिकों को उन्नत कौशल प्रदान करने के लिए कई योजनाएँ बनाई गई हैं. इन योजनाओं के माध्यम से भारतीय कार्यबल को वैश्विक उद्योग मानकों के अनुरूप तैयार किया जा रहा है, जिससे भारत एक सशक्त विनिर्माण केंद्र बन रहा है.

इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और निवेश के अवसर

भारत सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई योजनाएँ लागू की हैं, जैसे ‘गति शक्ति’ परियोजना, जिसका उद्देश्य विनिर्माण में सहूलियत और लागत में कमी लाना है. यह परियोजना न केवल घरेलू बाजार को संतुष्ट करने के लिए सहायक होगी, बल्कि निर्यात को भी बढ़ावा देगी. इसकी मदद से भारत के लिए वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना आसान होगा, और वह एक प्रमुख निर्यातक बन सकता है.

भारत की वृद्धि की दिशा: वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में

भारत की अर्थव्यवस्था को 2027 तक पांचवें स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंचने का लक्ष्य है. यह लक्ष्य भारत को न केवल एक आर्थिक महाशक्ति बनाएगा, बल्कि वैश्विक कंपनियों के लिए भी नए अवसर खोलेगा. इस प्रक्रिया में, भारत की भूमिका सिर्फ एक उत्पादक के रूप में नहीं होगी, बल्कि वह वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में भी उभरेगा, जिससे दुनिया भर के विकास में योगदान किया जाएगा.

भारत आज केवल एक उभरती हुई शक्ति नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण वैश्विक आर्थिक केंद्र बन चुका है. इसके विकास की यात्रा तकनीकी नवाचार, मजबूत नीतियों, और कुशल कार्यबल के जरिए और तेज़ हो रही है. यह भविष्य में न केवल भारत के लिए, बल्कि दुनिया के लिए भी विकास के नए अवसर लेकर आएगा.


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-भारत एक्सप्रेस



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