थोक मूल्य सूचकांक में आई गिरावट.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार (16 दिसंबर) को जारी किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर में भारत का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) तीन महीने के निचले स्तर 1.89 प्रतिशत पर आ गया है, इस दौरान, खासकर सब्जियों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. अक्टूबर में WPI 2.36 प्रतिशत था और पिछले साल नवंबर में 0.39 प्रतिशत था.
8.63 प्रतिशत पर पहुंची खाद्य महंगाई दर
आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में WPI खाद्य महंगाई दर घटकर 8.63 प्रतिशत पर आ गई, जो अक्टूबर में 13.54 प्रतिशत थी. सब्जियों की कीमतों में गिरावट के कारण यह गिरावट आई है. अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में 63.04 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले यह 28.57 प्रतिशत रही. नवंबर में प्याज की कीमतों में 2.85 प्रतिशत की गिरावट आई.
ईंधन और बिजली श्रेणी में भी आई गिरावट
ईंधन और बिजली श्रेणी में नवम्बर में 5.83 प्रतिशत की और गिरावट देखी गई, जबकि अक्टूबर में यह 5.79 प्रतिशत थी. विनिर्मित उत्पाद श्रेणी में मुद्रास्फीति अक्टूबर के 1.50 प्रतिशत से बढ़कर नवंबर में 2 प्रतिशत हो गई. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “नवंबर 2024 में मुद्रास्फीति की सकारात्मक दर मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों, अन्य विनिर्माण, कपड़ा, मशीनरी और उपकरण आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण है.”
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति की दर पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सहनीय दायरे में आ गई और नवंबर में 5.48 प्रतिशत पर आ गई, जबकि अक्टूबर में यह 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर थी. इससे आगामी फरवरी समीक्षा में बहुप्रतीक्षित नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद बढ़ गई है.
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इस महीने की शुरुआत में, आरबीआई, जो मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है, ने लगातार 11वीं बार अपनी मौद्रिक नीति में बेंचमार्क ब्याज दर या रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा और ‘तटस्थ’ रुख बनाए रखा.
-भारत एक्सप्रेस
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