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सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद अगले आदेश तक के लिए कार्यवाही पर लगाया रोक

एमेनेस्टी इटरनेशनल ने फरवरी में एक रिपोर्ट जारी किया था, जिसमें अप्रैल 2022 से जून 2024 के बीच दिल्ली, असम, गुजरात, मध्यप्रदेश और यूपी में हुई साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं के बाद बुलडोजर के जरिये 128 सम्पतियों को जमींदोज कर दिया गया है.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर की कार्यवाही पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान बुलडोजर की कार्रवाई के महिमा मंडन पर कोर्ट ने सवाल खड़ा किया है. कोर्ट ने कहा कि यह रुकना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि वो बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर दिशा निर्देश जारी करेगा. 1 अक्टूबर को कोर्ट अगली सुनवाई करेगा.

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि बिना इजाजत देश भर में तोड़फोड़ पर रोक जारी रहेगी. हालांकि कोर्ट का ये आदेश पब्लिक रोड़, गली, वाटर बॉडी, फुटपाथ, रेलवे लाइन, आदि पर किए गए अवैध कब्जा लागू नहीं होगा. मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि यह कहना कि बुलडोजर की कार्रवाई एक ही समुदाय के खिलाफ की जा रही है, यह गलत है. मध्य प्रदेश में 70 दुकानों को तोड़ा गया, जिसमें 50 दुकानें हिंदुओं की है.

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई पर सवाल उठाया था। कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना उचित नही है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाये गए सवालों पर सहमति जताई थी और कहा था कि अपराध में दोषी साबित होने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता. एसजी ने कहा था कि जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है, वे अवैध कब्जा या निर्माण के कारण निशाने पर है, न कि अपराध के आरोपों के चलते. तुषार मेहता ने कहा था कि प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई म्युनिसिपल कानून के अनुसार ही थी.

मेहता ने कोर्ट को बताया था कि अवैध कब्जे के मामलों में म्युनिसिपल संस्थाओं द्वारा नोटिस दिए जाने के बाद ही आगे की कार्रवाई की गई. यह याचिका जमीयत उलेमा ए हिन्द की ओर से दायर की गई है. याचिका में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान द्वारा आरोपियों के घरों पर चलाए जा रहे बुलडोजर पर रोक लगाने की मांग की है.

याचिका में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने का भी आरोप लगाया गया है. हालही में यूपी में एक मामला सामने आया था, जहां 12 साल की नाबालिग लड़की के साथ रेप के बाद आरोपी मोईद खान और नौकर राजू खान के खिलाफ एक्शन लेते हुए पुलिस ने मोईद खान की बेकरी को ध्वस्त कर दिया था. बाद में यूपी पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था. मोईद खान समाजवादी पार्टी का नगर अध्यक्ष है.

याचिका में कहा गया है कि समाज में हाशिए पर मौजूद लोगों खासकर अल्पसंख्यको के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई की जा रही है. याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रशासन पीड़ितों को अपने बचाव के लिए कानूनी उपाए करने का मौका ही नहीं देते है. फौरन सजा देने के लिए बुलडोजर चलवा देते है.

बता दें कि राजस्थान में अगस्त में एक नाबालिग आरोपी के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई थी. उदयपुर में एक अल्पसंख्यक समुदाय के 10 वे क्लास में पढ़ने वाले छात्र ने अपने क्लासमेट पर चाकू से हमला कर दिया था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी. जिसके बाद आरोपी के घर वाले सालों से किराए पर जिस मकान में रहते थे, उसको यह कह कर ध्वस्त कर दिया गया कि यह जंगल की जमीन पर बनी है. जबकि मध्य प्रदेश सरकार ने कई आरोपियों पर बुलडोजर एक्शन लिया है और उनके घर को ध्वस्त कर दिया है. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और छतरपुर में इस तरीके की कार्रवाई की गई है.

बता दें कि एमेनेस्टी इटरनेशनल ने फरवरी में एक रिपोर्ट जारी किया था, जिसमें अप्रैल 2022 से जून 2024 के बीच दिल्ली, असम, गुजरात, मध्यप्रदेश और यूपी में हुई साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं के बाद बुलडोजर के जरिये 128 सम्पतियों को जमींदोज कर दिया गया है.

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-भारत एक्सप्रेस

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