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पूर्वोत्तर में शांति बहाल, 12 शांति समझौतों से 10,900 उग्रवादियों ने हथियार डाले: Amit Shah

गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि 2019 से अब तक 12 प्रमुख शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे पूर्वोत्तर में उग्रवाद की घटनाओं में 71% की गिरावट आई और 10,900 युवाओं ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में वापसी की.

Amit Shah

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि की घोषणा की. वर्ष 2019 से अब तक विभिन्न सशस्त्र संगठनों के साथ 12 प्रमुख शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जो क्षेत्र में स्थिरता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इन समझौतों के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं, जिसके तहत 10,900 युवाओं ने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का निर्णय लिया है.

गृह मंत्री शाह ने राज्यसभा में कहा, “हमारी सरकार बनने के बाद हमने पूर्वोत्तर के सभी सशस्त्र संगठनों से बातचीत की. 2019 से अब तक 12 महत्वपूर्ण शांति समझौते किए जा चुके हैं. 10,900 युवाओं ने हथियार छोड़ दिए हैं और मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं. मैं हाल ही में बोडोलैंड गया था, जहां हजारों युवा अब विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं.”

पूर्वोत्तर में सुरक्षा स्थिति में व्यापक सुधार

बोडोलैंड की उनकी हालिया यात्रा यह दर्शाती है कि सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने वहां हो रहे बदलावों को प्रत्यक्ष रूप से देखा, जहां हजारों युवा अब हिंसा का रास्ता छोड़कर प्रगति की राह पकड़ रहे हैं.

गृह मंत्रालय के अनुसार, 2014 की तुलना में 2023 में पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद की घटनाओं में 71% की कमी आई है, सुरक्षाबलों की हानि में 60% की गिरावट आई है और नागरिकों की मौतों में 82% की कमी दर्ज की गई है.

पूर्वोत्तर भारत में असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा शामिल हैं. यह क्षेत्र भूटान, चीन, म्यांमार और बांग्लादेश की सीमाओं से लगा हुआ है और भारत के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक रहा है. 1947 के बाद से, यह क्षेत्र उग्रवाद और अविकास की समस्याओं से जूझता रहा है.

सरकार ने दशकों से चले आ रहे राज्यों के आपसी विवादों को स्थायी रूप से सुलझाने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं. इससे क्षेत्र में एकता और विश्वास को बढ़ावा मिला है और लंबे समय तक शांति एवं विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है.

प्रमुख शांति समझौते और उनका प्रभाव

  1. एएनवीसी शांति समझौता (2014): 24 सितंबर 2014 को अचिक नेशनल वॉलंटियर काउंसिल (ANVC) और ANVC/B के साथ समझौता किया गया. इसके तहत 751 कैडरों ने आत्मसमर्पण कर संगठन को भंग कर दिया.
  2. एनएलएफटी (SD) शांति समझौता (2019): 10 अगस्त 2019 को नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT-SD) के साथ समझौता हुआ, जिसके बाद 88 कैडरों ने 44 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया.
  3. ब्रू समझौता (2020): 16 जनवरी 2020 को ब्रू (रियांग) शरणार्थियों के लिए त्रिपुरा में स्थायी पुनर्वास हेतु ₹661 करोड़ के सहायता पैकेज के साथ समझौता किया गया.
  4. बोडो शांति समझौता (2020): 27 जनवरी 2020 को बोडो समूहों के साथ समझौता किया गया. इसके बाद 1,615 कैडरों ने 30 जनवरी 2020 को आत्मसमर्पण किया और 9-10 मार्च 2020 को संगठन भंग कर दिया गया.
  5. करबी शांति समझौता (2021): 4 सितंबर 2021 को करबी संगठनों के साथ समझौता किया गया, जिससे करबी आंगलोंग क्षेत्र में दशकों से चला आ रहा संघर्ष समाप्त हुआ. 1,000 से अधिक सशस्त्र कैडरों ने मुख्यधारा से जुड़ने का निर्णय लिया.
  6. आदिवासी शांति समझौता (2022): 15 सितंबर 2022 को आठ आदिवासी संगठनों के साथ समझौता किया गया, जिसके तहत 1,182 कैडरों ने आत्मसमर्पण किया.
  7. डीएनएलए शांति समझौता (2023): 27 अप्रैल 2023 को दीमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (DNLA/DPSC) के साथ समझौता हुआ. इसके बाद 181 कैडरों ने 28 अक्टूबर 2023 को हथियार डाल दिए.
  8. यूएनएलएफ शांति समझौता (2023): 29 नवंबर 2023 को मणिपुर के यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) के साथ समझौता किया गया. संगठन ने भारतीय संविधान और कानून का सम्मान करते हुए मुख्यधारा में लौटने पर सहमति जताई.
  9. यूएलएफए शांति समझौता (2023): 29 दिसंबर 2023 को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के साथ समझौता किया गया. संगठन ने हिंसा का मार्ग छोड़कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने और भारतीय अखंडता को बनाए रखने पर सहमति जताई.

बोडोलैंड में शांति और विकास की नई राह

गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में असम के कोकराझार जिले के डोटमा में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) के 57वें वार्षिक सम्मेलन में भाग लिया. उन्होंने कहा कि 2020 में बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) शांति समझौते के बाद इस क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित हुई है. उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार इस समझौते की सभी शर्तों को 100% लागू करेगी.

शाह ने कहा, “जब 27 जनवरी 2020 को BTR शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, तो कांग्रेस पार्टी इसे लेकर संदेह जता रही थी. उनका कहना था कि बोडोलैंड में कभी शांति नहीं होगी और यह समझौता एक मजाक साबित होगा. लेकिन आज, असम सरकार और केंद्र सरकार ने इस समझौते के लगभग 82% प्रावधानों को लागू कर दिया है.”

उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगले दो वर्षों में सरकार इस समझौते के सभी प्रावधानों को पूरी तरह लागू कर देगी, जिससे बोडोलैंड में स्थायी शांति सुनिश्चित होगी. इसके अलावा, उन्होंने बताया कि 1 अप्रैल 2022 को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को बोडोलैंड क्षेत्र से हटा दिया गया था, जिससे क्षेत्र के विकास को और अधिक गति मिली है.

पूर्वोत्तर में उग्रवाद के खिलाफ निर्णायक कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि असम में शांति समझौतों के कारण 10,000 से अधिक युवाओं ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है. सरकार की इन पहलों से यह स्पष्ट होता है कि पूर्वोत्तर भारत अब उग्रवाद से बाहर निकलकर शांति और विकास की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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