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आजादी के बाद पहली बार इन 120 गांवों में लोग डाल पाएंगे वोट, जानें अब तक यहां क्यों नहीं हो रहा था मतदान

Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के 120 गांवों के मतदाताओं को आजादी के बाद पहली बार अपने गांवों में मतदान करने का मौका मिलने जा रहा है. प्रदेश में दो चरणों (7 और 17 नवंबर) में मतदान होगा. निर्वाचन आयोग इन गांवों में मतदान केंद्र स्थापित करेगा. अधिकारियों के मुताबिक इससे पहले इनमें से ज्यादातर गांवों के मतदाताओं को अपने वोट डालने के लिए लगभग 8 से 10 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ियों और नालों को पार करना पड़ता था. इससे उनका चुनाव में भाग लेना मुश्किल हो जाता था.

अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में नए मतदान केंद्रों की स्थापना से ऐसा लगता है कि पहले जिस क्षेत्र को नक्सली गढ़ माना जाता था वहां अब सुरक्षा में सुधार हुआ है.

नक्सली गढ़ माने जाने वाले इलाकों में बनाए जाएंगे केंद्र

बता दें कि बस्तर संभाग में 7 जिले आते हैं और इसमें 12 विधानसभा क्षेत्र हैं. इन जगहों पर पहले चरण (7 नवंबर) में ही मतदान होगा. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (IG) सुंदरराज पी ने बताया है कि, ”सात नवंबर को मतदान के लिए बस्तर क्षेत्र में 126 से अधिक नए मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इनमें से ज्यादातर नए मतदान केंद्र अंदरूनी और नक्सली गढ़ माने जाने वाले इलाकों में स्थित होंगे. ” उन्होंने आगे कहा कि, ”ये नए मतदान केंद्र बस्तर क्षेत्र में भावी पीढ़ी को “बुलेट पर बैलेट” की जीत की कहानी बयां करेंगे.

इन जगहों पर बनाए जाएंगे मतदान केंद्र

सुंदरराज ने आगे बताया कि 126 नए मतदान केंद्रों में से कांकेर जिले के कांकेर विधानसभा क्षेत्र में 15, अंतागढ़ में 12, भानुप्रतापुर में 5, सुकमा जिले के कोंटा में 20, बस्तर जिले के चित्रकोट में 14, जगदलपुर में 4, बस्तर विधानसभा क्षेत्र में एक, कोंडागांव जिले के कोंडागांव क्षेत्र में 13, केशकाल में 19, नारायणपुर जिले के नारायणपुर में 9, दंतेवाड़ा जिले के दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 8 और बीजापुर जिले के बीजापुर विधानसभा क्षेत्र में 6 मतदान केंद्र शामिल हैं.

अधिकारी के मुताबिक, पिछले 5 सालों में 65 से अधिक नए सुरक्षा शिविर स्थापित करने से जमीनी स्थिति में बदलाव आया है. इससे दूरदराज के गांवों में मतदान केंद्र स्थापित करने में मदद मिली है. इससे पहले इन क्षेत्रों में बेकार रास्ते और माओवादी के खतरों के चलते मतदान केंद्र स्थापित नहीं पाते थे.

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अपने गांव में ही मतदान करने से मिलेगी खुशी

चांदामेटा गांव की एक आदिवासी महिला पालो मरकाम ने कहा कि पहले उन्हें वोट देने के लिए 8 किलोमीटर की दूरी तय कर छिंदगुर गांव पहुंचना पड़ता था, लेकिन अब वह खुश हैं कि अपने गांव में ही मतदान कर पाएंगी. चांदामेटा जगदलपुर निर्वाचन क्षेत्र के उन चार गांवों में से एक है जहां पहली बार मतदान केंद्र बनेगा. कभी उग्रवाद का गढ़ माना जाने वाले चांदामेटा बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़-उड़ीसा सीमा पर तुलसी डोंगरी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है.

मरकाम ने आगे कहा, ” सड़क नहीं होने के कारण कच्चे रास्तों से होकर छिंदगुर जाना पड़ता था. अब हम अपने गांव में मतदान केंद्र बनने से बहुत खुश हैं. हम उसे वोट देंगे जो हमारे विकास के लिए काम करेगा.

– भारत एक्सप्रेस

 

Rahul Singh

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