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दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ का कंटेंट यूज करने पर लगाई रोक, जानें क्या है पूरा मामला

कोर्ट को सूचित किया गया कि वादी के पास इस धारावाहिक के कई पात्रों एवं एनीमेशन का कॉपीराइट है, लेकिन इसके बावजूद कुछ संस्थाएं वेबसाइट तथा ई-वाणिज्य मंचों के जरिए अवैध तरीके से सामान बेच रही है.

लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के नाम, पात्रों और सामग्री के अनाधिकृत उपयोग पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया है. इस धारावाहिक के निर्माताओं ने आरोप लगाया है कि कई संस्थाएं व्यावसायिक लाभ के लिए वेबसाइट संचालित कर, सामान बेचकर और यहां तक कि यूट्यूब पर ‘अश्लील’ वीडियो प्रसारित कर उसके नाम, पात्रों की तस्वीरें आदि का इस्तेमाल कर रहा है.

सोलह से अधिक वर्ष से प्रसारित हो रहे इस धारावाहिक के लगभग 4,000 एपिसोड आ चुके हैं. धारावाहिक के प्रोड्यूसर की याचिका पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने कई ज्ञात और अज्ञात संस्थाओं के खिलाफ एक अंतरिम आदेश पारित कर कहा कि अगर एकतरफा अंतरिम रोक नहीं लगाई गई तो वादी को अपूरणीय क्षति होगी. वादी ‘नीला फिल्म प्रोडक्शंस प्राइवेट लिमिटेड’ ने कहा कि उसके पास अपने धारावाहिक और इसके पात्रों से संबंधित भारत में कई पंजीकृत ट्रेडमार्क पर वैधानिक अधिकार हैं. उसके कुछ ट्रेडमार्क ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’, ‘उल्टा चश्मा’, ‘तारक मेहता’, ‘जेठालाल’, ‘गोकुलधाम’ आदि हैं.

कोर्ट को सूचित किया गया कि वादी के पास इस धारावाहिक के कई पात्रों एवं एनीमेशन का कॉपीराइट है, लेकिन इसके बावजूद कुछ संस्थाएं वेबसाइट तथा ई-वाणिज्य मंचों के जरिए अवैध तरीके से सामान बेच रही है. वादी ने कहा कि अवैध तरीके से बेचे जा रहे सामान में धारावाहिक के पात्रों की तस्वीरों और संवाद वाली टी-शर्ट, पोस्टर और स्टिकर शामिल हैं.

कोर्ट ने आदेश दिया कि अश्लील सामग्री समेत धारावाहिक के पात्र या सामग्री वाले यूट्यूब वीडियो को हटाने की आवश्यकता है. अगर आपत्तिजनक वीडियो 48 घंटे के भीतर नहीं हटाए जाते हैं तो सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और दूरसंचार विभाग संबंधित इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को सभी लिंक या वीडियो हटाने के लिए कहेंगे.

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-भारत एक्सप्रेस



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