दिल्ली में आयुष्मान योजना (Ayushman Scheme) लागू करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट 11 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही है.
यह जनहित याचिका भाजपा (BJP) के 7 नेताओं ने दायर की है. याचिका में देश की राजधानी दिल्ली में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के क्रियान्वयन के लिए निर्देश देने की मांग की गई है.
आप वास्तव में दिवालिया हो चुके हैं
पिछली सुनवाई में टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप वास्तव में दिवालिया हो चुके हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा था कि आपके हेल्थ मिनिस्टर और हेल्थ सेक्रेटरी आपस में बात नहीं करते है. अस्पतालों में मशीन काम नहीं कर रही है, हम हर रोज यह देख रहे है, आपने हजारों करोड़ रुपये खर्च किया होगा, लेकिन बैलेंस नहीं कर पा रहे है.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा था कि हमें अभी तक याचिका की कॉपी नहीं मिली है, ब्यूरोक्रेसी सरकार को सहयोग नहीं कर रही है, हम पूरी तरह से हेल्पलेस है.
केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा भी हैं याची
BJP नेताओं की ओर से दाखिल याचिका में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत बुजुर्गों के लिए पांच लाख रुपये तक के निः शुल्क इलाज की योजना को दिल्ली में लागू कराने की मांग की गई है. याचिका दाखिल करने वालों में दिल्ली BJP अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा, सांसद रामबीर सिंह विधुड़ी, सांसद बांसुरी स्वराज, सांसद मनोज तिवारी और दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता जैसे नाम शामिल है.
अस्पतालों की संख्या 94 से 92 पहुंची
ये नेता मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार की इस महत्वपूर्ण स्वास्थ योजना का लाभ दिल्ली में भी समुचित रूप से बुजुर्गों को मिलना चाहिए. सांसद बांसुरी स्वराज (Bansuri Swaraj) ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित समिति की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में दस्तावेज के नाम पर मरीजों को परेशान किया जाता है. समिति द्वारा मई में दी गई सिफारिश को दिल्ली सरकार लागू नहीं कर रही हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार पिछले 10 वर्षों में एक भी नया अस्पताल नहीं बना. इस दौरान कई अस्पतालों, प्रसव गृह व डिस्पेंसरी बंद कर दिए गए. अस्पतालों की संख्या 94 से कम होकर 92 रह गई है. प्रसव गृह की संख्या 265 से कम होकर 124 और नर्सिंग होम 1057 से कम होकर 1040 रह गए है.
-भारत एक्सप्रेस
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