सुप्रीम कोर्ट.
आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बच्चों को एससी/एसटी के तहत आरक्षण ना देने के आदेश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण किसे मिलना चाहिए और किसको आरक्षण के दायरे से बाहर करना है, यह तय करना संसद का काम है. इसे सरकार और विधायिका पर ही छोड़ देना चाहिए.
जानिए पूरा मामला
कोर्ट ने कहा कि यह तो संसद पर है कि इस संबंध में कोई कानून लाए. यह टिप्पणी जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने की है. यह याचिका मध्य प्रदेश के रहने वाले संतोष मालवीय ने दाखिल की थी. याचिका में कहा गया था कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब बनाम देविंदर सिंह केस के फैसले में अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षण में उपवर्गीकरण की अनुमति दी थी.
कोर्ट ने कहा था कि इन वर्गों में भी जो जातियां ज्यादा पिछड़ी हुई है उनतक आरक्षण का लाभ पहुचाने के लिए उपवर्गीकरण जरूरी है. जस्टिस बीआर गवई ने कहा हमारी ओर से कोई आदेश जारी नही किया गया था. ऐसी राय 7 जजों की बेंच में से एक जस्टिस की थी. जिसे दो अन्य जनों ने समर्थन दिया था कि एससी/एसटी कोटा में उपवर्गीकरण होना चाहिए. संतोष मालवीय ने सबसे पहले मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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-भारत एक्सप्रेस
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