सुप्रीम कोर्ट.
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकीलों से ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान युवा वकीलों को मौका देने की अपील की है। दरअसल जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय करोल की अवकाशकालीन पीठ सिविल मामले की सुनवाई कर रही थी। उस दौरान पीठ ने कहा कि युवा वकीलों को गर्मी की छुट्टियों के दौरान बहस करने का मौका मिलना चाहिए। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित अन्य वरिष्ठ वकीलों से स्पष्ट अनुरोध किया।
युवा सदस्यों को छुट्टियों में दें बहस का मौका
पीठ ने कहा कि हम सभी विद्वान वरिष्ठ वकीलों से अनुरोध करते हैं कि बार के युवा सदस्यों को छुट्टियों में बहस का मौका दें। जिसपर सिंघवी ने कहा कि मैं रिकार्ड पर रह हूं कि यदि आपके आधिपत्य एक समान नियम बनाते हैं, तो यह हमारे लिए बहुत आसान होगा। कोर्ट ने सिंघवी की इस बात पर सहमति जताई और कहा कि ऐसे फैसले पूरी तरह से उनके दायरे में नही है। यह हमारे लिए नही सभी के लिए है।
युवाओं को आगे आने का मौका मिले
कोर्ट की बात पर सिंघवी ने कहा ऐसा नही है। सिंघवी ने कहा कि समस्या यह है कि 10 सहयोगी उपस्थित होते है, 10 नही आते है। इस तरह से काम करना संभव नही है। सिंघवी ने कहा कि कोर्ट चाहे तो मेरी इस टिप्पणी को आधिकारिक तौर पर रिकॉर्ड में दर्ज सकता है। सिंघवी ने कहा कि मैं 100 फीसदी समर्थन करूंगा, और मैं पिछले 5-7 वर्षों से ऐसा कह रहा हूं।
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सुनवाई के दौरान जस्टिस करोल ने कहा कि कोर्ट चाहती है कि युवा भी बार मे बढ़ें और छुट्टियों के दौरान युवा अधिवक्ताओं को दलीलें पेश करने का मौका मिले। जस्टिस करोल ने कहा कि हम बस इतना ही चाहते है की युवाओं को आगे आने का मौका मिले। इसपर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ बेंच वरिष्ठों को मामले पर बहस करने की मंजूरी नही देता है और इसी तरह से यह बेंच भी ऐसा कर सकती है।