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देश के पांच राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव हैं, तेलंगाना और मिजोरम को छोड़ दें तो छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में यूपी के नेताओं की डिमांड सबसे ज्यादा है। चुनावी राज्यों खासकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा मुखिया मायावती सियासी तपिश बढ़ाने नजर आएंगे। तीन हिंदीभाषी राज्यों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या और बृजेश पाठक स्टार प्रचारक हैं वहीँ भाजपा के विधायक और सांसदों की डिमांड है। यह सिर्फ भाजपा में नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी अपनी सक्रियता दिखा रही है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ज्यादा सक्रीय हैं। कांग्रेस से सीटों को लेकर वार्ता फेल होने के बाद उन्होंने अपना प्रत्याशी उतारकर चुनावी जंग का बिगुल फूंका है। वहीँ बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती भी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव ने आठ रैलियां करने जा रही हैं। 6 नवंबर को बुंदेलखंड के निवाड़ी और दतिया जिले के सेवड़ा से चुनावी रैली की शुरुआत करेंगीं। बसपा ने 178 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वहीँ राजस्थान में भी बसपा ने सक्रियता बधाई है। तेलंगाना के लिए बसपा ने पहली बार घोषणा पत्र भी जारी किया है। राजस्थान में रालोद ने भी यूपी के अपने नेताओं को चुनावी अभियान में लगाया है। राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी ने राजस्थान में यूपी के सभी नौ मौजूदा विधायकों को चनावी अभियान में उतारा है। कांग्रेस से प्रियंका गाँधी समेत कई पूर्व मंत्री मध्यप्रदेश और राजस्थान में सक्रिय हैं जो यूपी की सियासत से ताल्लुक रखते हैं। यूपी कांग्रेस का तेजतर्रार चेहरा माने जाने वाले सुरेन्द्र राजपूत मध्यप्रदेश के ग्वालियर संभाग के आठ जिलों में सक्रिय हैं और उन पर अहम जिम्मेदारी दी गयी है। चुनावी राज्यों में भाजपा के सामने अखिलेश और मायावती समीकरण बिगाड़ते दिखेंगे।
मध्य प्रदेश में यूपी भाजपा और योगी सरकार के मंत्रियों की डिमांड सबसे ज्यादा है। यूपी में जिस तरह से भाजपा ने दूसरी बार सत्ता हासिल की है उसका लोहा सभी राज्यों के नेता मानते हैं। अब स्टार प्रचारकों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैलियों की सबसे ज्यादा मांग हैं। कानून व्यवस्था और माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर का फार्मूला हिट है और चुनावी राज्यों में भाजपा इसी मॉडल को पेश करना चाहती है जिससे लोग सुरक्षा की भावना को एहसास कर भाजपा के पक्ष में मतदान करें। यूपी के कई मंत्रियों को यूपी के बाहर कमल खिलाने की जिम्मेदारी दी गई है। जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को सतना, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को बालाघाट, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र को दतिया, श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर को शिवनी, व्यावसायिक शिक्षा कपिलदेव अग्रवाल को दमोह, महिला कल्याण बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्य को ग्वालियर देहात, उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को रायसेन,सहकारिता राज्यमंत्री जेपीएस राठौर को भोपाल संभाग की विधानसभाओं की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं।
समाजवादी पार्टी यूपी के बाहर भी पार्टी का विस्तार करने में जुटी है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में समाजवादी पार्टी के नेता सक्रीय हैं। मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी ने अब तक 50 से अधिक सीटों पर अपना प्रत्याशी उतार दिया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव जातीय जनगणना के सहारे पिछड़ी और दलित वोटरों को साधना चाह रहे हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाकर लोकसभा चुनाव में गठबंधन पर दबाव बनाकर चुनाव लड़ने के लिए सीटें हासिल करने में जुटे हैं। दूसरे राज्यों में अगर सफलता मिलती है तो आगे की संभावनाएं बेहतर साबित होंगीं।
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