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‘अपराध की प्रवृत्ति शैतानी थी…’, नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के दोषी 44 वर्षीय शख्स को महिला जज ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अपराध की शैतानी प्रवृत्ति और यह तथ्य कि पीड़िता दोषी की बेटी थी और उसकी देखभाल और सुरक्षा में थी, दोषी की व्यक्तिगत परिस्थितियों से अधिक महत्वपूर्ण है. उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है.

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Court Judgment In Minor Rape Case: एक शख्‍स को नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के अपराध में आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है. शख्‍स 44 साल का है, अब उसे ताउम्र जेल की सलाखों के पीछे रहना होगा. अदालत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पूनिया ने उपरोक्‍त मामले में फैसला सुनाया.

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि अपराध की प्रवृत्ति शैतानी थी, और चूंकि व्‍यक्ति ने अपनी ही नाबालिग बेटी को शिकार बनाया…इस अपराध के लिए दोषी पर कोई रहम नहीं किया जाएगा. यह शर्मनाक कृत्य था, पीड़िता दोषी की बेटी थी और उसकी देखभाल और सुरक्षा में थी, जो दोषी की व्यक्तिगत परिस्थितियों से अधिक महत्वपूर्ण है.

अदालत के फैसले में कहा गया कि दोषी को मिली आजीवन सजा न्याय के साथ-साथ समाज के हित में भी काम करेगी. इसके अलावा यह दोषी को नष्ट नहीं करेगी, हालांकि यह एक सामान्य निवारक के रूप में काम करेगी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पूनिया हाल ही में एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थीं, जिसे पहले अदालत ने दुष्कर्म और बच्चों की सुरक्षा की धारा-6 (गंभीर प्रवेशन यौन उत्पीड़न) के तहत दोषी ठहराया था.

अदालत ने कहा- हालांकि गंभीर कारकों में पीड़िता का मासूम और असहाय बच्चा होना शामिल है, जिसके साथ बार-बार दुष्कर्म किया गया, जिसके बाद उसने 17 साल की उम्र में बच्चे को जन्म दिया. इसमें पाया गया कि पीड़िता द्वारा 2022 में दिए गए अंतरिम मुआवजे को स्वीकार करने से इनकार करना दर्शाता है कि वह किस आघात से गुजर रही थी.

— भारत एक्सप्रेस

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