

- आशीष सिंह
वैश्विक समुद्री व्यापार के प्रमुख चौराहे पर स्थित भारत, अब केवल सैन्य शक्ति के माध्यम से ही नहीं, बल्कि जलरूपविज्ञान (Hydrography), मौसम विज्ञान (Meteorology), महासागरीय विज्ञान और आपदा प्रबंधन जैसे ‘सॉफ्ट पावर’ औजारों के माध्यम से भी प्रभाव जमा रहा है. यह नई कूटनीति हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत को एक विश्वसनीय और स्थायी साझेदार के रूप में प्रस्तुत करती है.
जलरूपविज्ञान कूटनीति: सीमाएं स्पष्ट, विवाद न्यूनतम
भारत की जलरूपविज्ञान कूटनीति सुनियोजित और सहयोगात्मक है. भारत ने कई IOR देशों को समुद्री सीमाएं तय करने और उनके विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) को विस्तारित करने में मदद की है.
उदाहरण: भारत की मदद से मॉरीशस ने अपना EEZ 13 लाख वर्ग किमी तक बढ़ाया, जिससे उसकी आर्थिक क्षमताएं बढ़ीं और समुद्री विवाद कम हुए.
भारत की यह भूमिका न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि क्षेत्रीय शांति और पारस्परिक विश्वास को भी मजबूत करती है.
मौसम विज्ञान कूटनीति: आपदा से पहले सुरक्षा
जलवायु परिवर्तन और समुद्री आपदाओं के बढ़ते खतरे को देखते हुए, भारत ने मौसम और महासागरीय जानकारी साझा करने की दिशा में मजबूत कदम उठाए हैं.
Meghayan-25 सम्मेलन (अप्रैल 2025) में भारत ने मौसम विज्ञान, उपग्रह डेटा, और समुद्री सुरक्षा पर अपनी विशेषज्ञता साझा की.
MOSDAC-IN (Meteorological and Oceanographic Satellite Data Archival Centre – Indian Navy) की शुरुआत से अब भारत रीयल-टाइम में चक्रवात, समुद्री तूफानों और समुद्री आपदाओं की चेतावनी दे सकता है. इससे IOR देशों की तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमता में भारी सुधार हुआ है.
भारत बनाम चीन: सहयोग बनाम नियंत्रण
जहां एक ओर चीन मालदीव जैसे देशों में ‘डुअल-यूज़’ टेक्नोलॉजी के जरिए निगरानी और नियंत्रण की नीति अपनाता है, वहीं भारत पारदर्शिता, प्रशिक्षण और क्षमतावर्धन पर जोर देता है.
उदाहरण: भारत ने 15 देशों के 200 से अधिक नौसैनिक कर्मियों को National Institute of Hydrography में प्रशिक्षण दिया है.
यह ‘SAGAR’ (Security and Growth for All in the Region) सिद्धांत का वास्तविक रूप है, जहां लाभ साझेदारी के आधार पर होता है, न कि ऋण जाल में फंसाकर.
बहुपक्षीय मंचों पर भारत की सक्रियता
IORA (Indian Ocean Rim Association) और IONS (Indian Ocean Naval Symposium) जैसे मंचों की अध्यक्षता कर भारत खुले समुद्री शासन और पर्यावरणीय सहयोग को बढ़ावा दे रहा है. भारत का जोर ‘खुले डाटा प्लेटफॉर्म’ पर है, जिससे सभी देशों को जलवायु और समुद्री संसाधनों की जानकारी सुलभ हो सके.
सटीक जलरूपविज्ञान मानचित्रण से मछली पकड़ने, खनिज खोज और नेविगेशन में सुविधा होती है.
INSAT-3D उपग्रह और विस्तृत तटीय आकलन से भारत ने मॉरीशस, श्रीलंका जैसे देशों में आपदा तैयारी और जनहानि में भारी कमी लाई है.
सुरक्षित, समृद्ध हिंद महासागर का सपना
भारत की समुद्री कूटनीति आज केवल सीमाओं को नहीं, बल्कि विश्वास, सहयोग और विकास की दिशा को भी दर्शा रही है. पारदर्शिता, प्रशिक्षण और स्थानीय क्षमताओं के विकास के माध्यम से भारत न केवल चीनी प्रभाव का जवाब दे रहा है, बल्कि IOR में स्थायी भागीदार के रूप में उभर रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की SAGAR दृष्टि के तहत भारत का यह समर्पण, न केवल भारत की स्थिति को सुदृढ़ करता है, बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और समावेशी विकास की मजबूत नींव रखता है.
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लेखक: आशीष सिंह, सीनियर डिफेंस जर्नलिस्ट हैं, जिनके पास रणनीतिक मामलों में 18 से अधिक वर्षों का अनुभव है.
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