
Pahalgam Terror Attack: अमृतसर. केन्द्र सरकार द्वारा भारत‑पाकिस्तान अटारी बार्डर पर वाणिज्यिक आवागमन अनिश्चित काल के लिए रोकने के फैसले के बाद, पंजाब भर के ट्रेड संगठनों में हलचल है. राज्य के सबसे सक्रिय व्यावसायिक कॉरिडोरों में से एक यह सीमा बिंदु प्रतिदिन औसतन 400 से 500 ट्रक कार्गो की आवाजाही सम्भालता था—जिसमें सूखी खजूर, सीमेंट, केमिकल, मसाले और कपड़ा प्रमुख थे. दोपहर बाद जैसे ही स्थगन आदेश जिलाधिकारी कार्यालय के ज़रिए कारोबारियों तक पहुँचा, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना और तरनतारन में एक्सपोर्ट‑हाउस मालिकों, ट्रांसपोर्ट एजेंटों और फ़ॉरवर्डिंग कंपनियों की आपात बैठकें शुरू हो गईं.
पंजाब मंडी बोर्ड ट्रेडर्स यूनियन के महासचिव मनोहर सिंह ने कहा कि वे आदेश का पूर्ण सम्मान करते हैं. “आर्थिक खामियाजा होगा—ट्रक‑लोड तैयार माल गोदामों में फँस सकता है, फ़्रेट चार्जेज़ और बैंक LC पेनल्टी बढ़ेंगी—लेकिन अगर राष्ट्रीय हित में सीमा सील करना ज़रूरी है, तो हम सरकार के साथ हैं,” उन्होंने डिजिटल प्रेस‑बाइट में कहा. लुधियाना‑आधारित रेडी‑मेड गारमेंट निर्यातक रुचि ग्रोवर ने भी स्वीकारा कि शिपमेंट शेड्यूल फिर से बनाना पड़ेगा; बावजूद इसके, उनका संगठन निर्णय का समर्थन करेगा क्योंकि “सुरक्षा सर्वोपरि है और पड़ोसी देश के हालात अस्थिर हैं.”
7 करोड़ प्रतिदिन का फ़्रेट नुकसान, छोटे ऑपरेटर संकट में
फेडरेशन ऑफ़ वेस्टर्न पैंथर्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने सम्भावित आर्थिक प्रभाव का आकलन करते हुए बताया कि रोज़ाना लगभग 7 करोड़ रुपए का सीमा‑पार फ़्रेट रुक जाएगा. छोटे ट्रक‑ऑपरेटरों को सबसे ज्यादा दिक्कत आने की आशंका है, क्योंकि उनकी आय का बड़ा हिस्सा इसी रूट से जुड़ा था. जालंधर के खेल‑सामग्री निर्यातकों ने चेताया कि यदि बंदी लंबी चली तो उन्हें यूरोप‑मध्य‑पूर्व ऑर्डर दुबई या मुंद्रा पोर्ट के रास्ते भेजने पड़ेंगे, जिससे प्रति कंटेनर करीब 12‑15 हज़ार रुपए अतिरिक्त खर्च होगा.
फिर भी, ज़्यादातर व्यापारी संगठनों ने एक स्वर में संदेश दिया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय के पीछे खड़े हैं. अमृतसर चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष गुरजीत चड्ढा का कहना था, “सीमा‑पार उकसावे और आतंक वित्तपोषण रोकने के लिए यदि यह क़दम अनिवार्य हुआ, तो हमारा नैतिक दायित्व है कि हम सहयोग करें. पंजाब की उद्यमिता लचीली है; विकल्प तलाशे जाएंगे.” तरनतारन की मंडी में अनाज‑व्यापारियों ने भी समान भाव व्यक्त करते हुए तत्काल बैठक का नतीजा साझा किया कि वे कृषि उत्पादों के वैकल्पिक रूट खोजेंगे और श्रमिकों की आजीविका प्रभावित न हो, इसका प्रबंध करेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमा‑पार सुरक्षा चिंताओं और हालिया खुफिया इनपुट के आधार पर यह प्रतिबंध लगाया है. अटारी‑वाघा एकीकृत चेक पोस्ट पर सीमा सुरक्षा बल और कस्टम विभाग ने संयुक्त रूप से सभी कमर्शियल ट्रैफिक को रोके रखने की पुष्टि की है; ह्यूमनिटेरियन कार्गो के विशेष मामलों पर अलग निर्देश बाद में जारी किए जाएंगे.
सीमा शुल्क में 250 करोड़ का संभावित घाटा
पंजाब सरकार ने व्यापार विभाग को निर्देश दिया है कि वह प्रभावित निर्यातकों‑आयातकों के लिए हेल्पलाइन स्थापित करे और माल डायवर्जन की प्रक्रिया सरल बनाए. वित्त विशेषज्ञों के अनुसार, यदि सीमा बंदी 30 दिन से अधिक चलती है, तो राज्य को लगभग 200‑250 करोड़ रुपए के सीमा‑शुल्क वसूली के नुकसान का अनुमान है; किन्तु दीर्घ‑कालीन सुरक्षा और विदेश नीति के सन्दर्भ में यह “व्यवस्थित लागत” मानी जा रही है.
लोकेशन‑ग्राउंड रिपोर्टों में यह भी सामने आया कि अटारी‑बार्डर के आस‑पास अस्थायी ढाबों, कोल्ड‑स्टोरेज और ट्रक‑मरम्मत सेंटर्स में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों ने स्थिति सामान्य होने तक अन्य रोज़गार की तलाश शुरू कर दी है. स्थानीय पंचायतों ने, प्रशासन की सहायता से, इनके लिए कौशल‑अपग्रेड कैम्प तथा मनरेगा जैसी योजनाओं में तैनाती पर विचार शुरू किया है.
औद्योगिक संगठनों का मानना है कि केंद्र सरकार को जीएसटी‑रिफंड व बैंक लोन‑रीपेमेंट पर राहत देने जैसे त्वरित कदम उठाने चाहिए, ताकि छोटे‑मध्यम उद्यम टिके रह सकें. इस बीच, व्यापारी प्रतिनिधियों का रुख स्पष्ट है—“हमारा कारोबार प्रभावित होगा, पर देशहित के क़दम में हम प्रधानमंत्री के साथ खड़े हैं.”
-भारत एक्सप्रेस
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