

Indian students immigration: भारतीय छात्र अब उच्च शिक्षा (Higher Education) के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे ट्रेडिशनल डेस्टिनेशंस से मुंह मोड़ रहे हैं. इसके बजाय, जर्मनी, आयरलैंड, न्यूजीलैंड और रूस जैसे देश उनकी पहली पसंद बन रहे हैं. केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि इन देशों में भारतीय छात्रों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. सख्त वीजा नियम, नस्लवाद की घटनाएं और नीतिगत बदलावों के कारण छात्र नए विकल्प तलाश रहे हैं. इस खबर में हम इस बदलते रुझान और इसके कारणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे.
जर्मनी और न्यूजीलैंड में उछाल
केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि जर्मनी में भारतीय छात्रों की संख्या में 68% की वृद्धि दर्ज की गई है. 2022 में जहां 20,684 छात्र थे, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 34,702 हो गई. न्यूजीलैंड में तो यह वृद्धि और भी चौंकाने वाली है, जहां 2022 में 1,605 छात्रों की तुलना में 2024 में 354% की बढ़ोतरी के साथ 7,297 छात्र पहुंचे. आयरलैंड में 49% और रूस में 59% की वृद्धि भी इस बदलाव को रेखांकित करती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि इन देशों की सरल इमिग्रेशन नीतियां, विविध शैक्षिक विकल्प और पढ़ाई के बाद रोजगार के अवसर भारतीय छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं.
अमेरिका-ब्रिटेन में क्यों आई कमी?
ट्रेडिशनल डेस्टिनेशंस में भारतीय छात्रों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है. ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के आंकड़ों के अनुसार, कनाडा में 2023 में 2,33,532 छात्र थे, जो 2024 में 41% की कमी के साथ 1,37,608 रह गए. ब्रिटेन में 27% की गिरावट के साथ 2023 के 1,36,921 छात्र 2024 में 98,890 हो गए. अमेरिका में 13% और ऑस्ट्रेलिया में 12% की कमी दर्ज की गई. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की नीतियां, कनाडा के साथ तनावपूर्ण संबंध, सख्त वीजा नियम और नस्लवाद की बढ़ती घटनाएं इसके लिए जिम्मेदार हैं. उदाहरण के लिए, 2023-24 में अमेरिका ने 41% एफ1 वीजा आवेदनों को खारिज कर दिया, जिससे 2,79,000 छात्रों को निराशा हुई.
नीतिगत बदलाव और नस्लवाद का असर
विदेश में शिक्षा पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का नारा और कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया में नीतिगत बदलावों ने छात्रों का भरोसा तोड़ा है. सख्त वीजा नियमों और वीजा रद्द होने की बढ़ती घटनाओं ने छात्रों को वैकल्पिक देशों की ओर धकेला है. इसके विपरीत, जर्मनी और न्यूजीलैंड जैसे देशों की उदार इमिग्रेशन नीतियां और रोजगार के अवसर छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं. यूरोपीय देशों में शिक्षा के बाद कार्य अनुमति और स्थायी निवास के रास्ते भी भारतीय छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.
अमेरिका अभी भी आकर्षक
हालांकि छात्रों की संख्या में कमी आई है, लेकिन अमेरिका अभी भी भारतीय छात्रों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बना हुआ है. इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन की रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में 3,31,602 भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ रहे थे, जिसके साथ भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया. विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की विश्व-स्तरीय शिक्षा प्रणाली और करियर के अवसर अभी भी छात्रों को खींचते हैं, भले ही वीजा प्रक्रिया जटिल हो.
भारतीय छात्रों का रुझान अब जर्मनी, न्यूजीलैंड, आयरलैंड और रूस जैसे देशों की ओर तेजी से बढ़ रहा है. सख्त वीजा नियम, नस्लवाद और नीतिगत बदलावों ने अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के आकर्षण को कम किया है. दूसरी ओर, यूरोपीय देशों और न्यूजीलैंड की सरल नीतियां और रोजगार के अवसर भारतीय छात्रों के लिए नए द्वार खोल रहे हैं. यह बदलाव न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को भी प्रभावित करेगा.
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-भारत एक्सप्रेस
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