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26/11 हमलों के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा की NIA कस्टडी का अंदरूनी हाल: पूछताछ, कलम-कागज़ और एक कुरान की मांग

तहव्वुर राणा को हाई-सिक्योरिटी सेल में रखा गया है, जहां उसकी 24×7 निगरानी की जा रही है. दिल्ली की अदालत ने एजेंसी को 18 दिन की कस्टडी दी है और निर्देश दिया है कि राणा की हर 48 घंटे में मेडिकल जांच हो.

26\11 attack

नई दिल्ली – साल 2008 में मुंबई में हुए भयावह आतंकी हमलों के एक अहम साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार भारत लाया जा चुका है. अमेरिका से प्रत्यर्पित कर लाए गए 64 वर्षीय राणा को फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी की कड़ी निगरानी में दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित मुख्यालय में रखा गया है. यहाँ उसकी हर दिन 8 से 10 घंटे तक गहन पूछताछ हो रही है.

कौन है तहव्वुर राणा? (26/11 attack)

पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा एक व्यवसायी रहा है, जिसका नाम मुंबई आतंकी हमलों में सीधे तौर पर शामिल होने के आरोप में सामने आया था. उस पर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने, हत्या की साजिश रचने और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं. राणा का नाम डेविड कोलमैन हेडली के साथ बार-बार जुड़ चुका है, जो हमलों में उसकी भूमिका को और पुख्ता करता है.

NIA की पूछताछ में अब तक क्या हुआ? (26/11 attack)

सूत्रों के मुताबिक, राणा फिलहाल जांच में पूरा सहयोग कर रहा है. जांच एजेंसी की टीम, जिसकी अगुवाई चीफ इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर जया रॉय कर रही हैं, उससे उन तमाम सुरागों पर सवाल कर रही है जो अब तक सामने आए हैं. विशेष रूप से उन फोन कॉल्स और मेल्स पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिनमें राणा और हेडली के बीच संपर्क के सबूत मिले हैं. राणा से पूछताछ के दौरान उसने अब तक किसी विशेष भोजन या सुविधा की मांग नहीं की है. वह सरकारी प्रोटोकॉल के अनुसार सामान्य भोजन ले रहा है. हां, उसने एक कलम, कुछ कागज़ और कुरान की मांग ज़रूर की थी, जिसे एजेंसी ने उसे उपलब्ध करा दिया है.

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कड़ी सुरक्षा, इंसानी गरिमा और कानूनी प्रक्रिया

तहव्वुर राणा को हाई-सिक्योरिटी सेल में रखा गया है, जहां उसकी 24×7 निगरानी की जा रही है. दिल्ली की अदालत ने एजेंसी को 18 दिन की कस्टडी दी है और निर्देश दिया है कि राणा की हर 48 घंटे में मेडिकल जांच हो. इसके साथ ही उसे कानूनी सहायता मिलने और वकील से मिलने की इजाज़त भी दी गई है, जैसा कि भारत और अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि में उल्लेख है.

राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा अहम मोड़

जांच एजेंसी का उद्देश्य अब केवल राणा की भूमिका को जानना नहीं है, बल्कि इस पूछताछ के ज़रिए वे उस पूरे नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय साजिश का पर्दाफाश करना चाहते हैं, जो 2008 के हमलों के पीछे सक्रिय रहा है. इस केस को भारत की आंतरिक सुरक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है और हर सवाल का मकसद मूल साजिशकर्ता तक पहुंचना है. राणा की गिरफ्तारी और भारत लाया जाना, 26/11 हमलों के पीड़ितों और उनके परिजनों के लिए न्याय की उम्मीद का एक और मजबूत कदम माना जा रहा है. अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि जांच एजेंसियां इस बहुप्रतीक्षित केस को किस अंजाम तक पहुंचाती हैं.

-भारत एक्सप्रेस 



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