
जस्टिस यसवंत वर्मा. (फाइल फोटो)
Justice Yashwant Verma Cash Kand: जस्टिस यशवंत वर्मा ने कैश कांड पर दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र उपाध्याय को पत्र लिखकर अपना पक्ष रखा है. उन्होंने लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है.
चीफ जस्टिस को लिखा पत्र
बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर आग लगने की सूचना पर पहुंचे दमकल कर्मियों को एक कमरे में अधजले नोटों के बंडल मिले थे, जिसका वीडियो बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था. हालांकि जस्टिस यशवंत वर्मा ने चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में अपना पक्ष रखा है.
घर पर नहीं थे जस्टिस वर्मा
उन्होंने पत्र में लिखा है कि जिस दिन उनके घर में आग लगी थी, उस दिन वह अपनी पत्नी के साथ मध्य प्रदेश गए हुए थे. घर में सिर्फ उनकी बेटी और मां थीं. 15 मार्च को वह मध्य प्रदेश से वापस लौटे थे. उन्होंने आगे लिखा है कि जो वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था, और उसमें जो जले हुए नोटों को दिखाया जा रहा है, ऐसा कुछ भी नहीं है.
“कैश रिकवरी की कोई जानकारी नहीं मिली”
जस्टिस वर्मा ने पत्र में लिखा है कि जब वह अग्निकांड के बाद वापस लौटे थे, तो घर के किसी सदस्य या फिर स्टाफ ने उन्हें ऐसी कोई भी जानकारी नहीं दी, जिसमें कैश रिकवरी की बात शामिल रही हो. जिस कमरे में आग लगी थी, उस कमरे में कोई भी कैश बरामद नहीं हुआ था. न ही अधजले नोट बरामद हुए. ऐसे में नोटों के जलने की बात पूरी तरह से असत्य है. उन्होंने कहा कि जिस दिन रात को आग लगी थी, उस दिन पुलिस आकर वापस लौट गई थी, लेकिन तब ऐसा कुछ भी नहीं बताया गया था कि कैश बरामद हुआ है.
कमरे में कोई कैश नहीं रखा गया- जस्टिस वर्मा
जस्टिस वर्मा आगे लिखते हैं कि “मैंने या फिर मेरे परिवार के किसी भी सदस्य ने स्टोर रूम में कोई कैश नहीं रखा था. हम जो भी कैश बैंक से निकालते हैं, या फिर लेनदेन करते हैं, उसकी सारी डिटेल है. हम यूपीआई और कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. इस बात को मैं फिर से दोहरा रहा हूं कि मुझे और मेरे परिवार के किसी सदस्य को उस कमरे से कोई भी पैसा नहीं मिला है, जिस कमरे में नकदी मिलने का दावा किया जा रहा है.” जज यशवंत वर्मा ने इस दौरान फायर सर्विस के चीफ ऑफिसर के बयान को दोहराते हुए कहा कि हमें कोई भी कैश नहीं मिला है.
“जहां आग लगी, वह स्टोर रूम है”
जज वर्मा ने उस कमरे को लेकर दावा किया है कि जिस कमरे में आग लगी थी, उस कमरे का इस्तेमाल स्टोर रूम के तौर पर किया जाता है. जहां पर बागवानी का सामान, फर्नीचर, कारपेट, स्पीकर और बोतलें रखी जाती हैं. यह स्टोर रूम हमेशा खुला रहता है, जिससे स्टाफ मेंबर कभी भी कोई जरूरत का सामान ले सकें. उन्होंने इस दौरान ये सवाल भी खड़ा किया है कि कोई बाहर के कमरे में, जो हमेशा खुला रहता है, वहां पर इतना कैश क्यों रखेगा?
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साजिश की तरफ किया इशारा
जस्टिस वर्मा ने इस कैश कांड को लेकर साजिश की तरफ भी इशारा किया है. उन्होंने लिखा है कि दिसंबर 2024 में मेरे खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर की गई थीं. शायद उसी साजिश का हिस्सा ये भी है. जो अब सामने इस रूप में आया है.
जांच कराए जाने की मांग की
अंत में उन्होंने लिखा है कि उनके इस मामले की निष्पक्षता के साथ जांच कराई जाए. जिससे सारी सच्चाई सामने आ जाएगी. जांच में सारी चीजें सामने आने के बाद उनकी गरिमा फिर से बहाल होगी और न्यायपालिका की छवि के लिए भी ऐसा करना बहुत जरूरी है.
-भारत एक्सप्रेस
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