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दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य वापस, घर में नकदी मिलने अपर CIJ ने पूछे ये तीन अहम सवाल

Justice Yashwant Verma Case: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा से उनके सरकारी आवास पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद न्यायिक कार्य वापस ले लिया गया है. सीजेआई संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है.

जज यशवंत वर्मा

जज यशवंत वर्मा

Justice Yashwant Verma Case: दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने एक परिपत्र जारी कर कहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है. हाई कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा से हालिया घटना की गंभीरता को देखते हुए यह फैसला लिया है. जारी परिपत्र में कहा गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है. जांच पूरी होने तक जस्टिस यशवंत वर्मा न्यायिक कार्य से दूर रहेंगे. जस्टिस यशवंत वर्मा के घर 14 मार्च को लगी आग के दौरान भारी मात्रा में कैश मिला था.

दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है कि खंडपीठ 3 का कोर्ट मास्टर मामलों में तारीख देगा. इससे पहले सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा के घर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की कथित घटना से उपजे आरोपों की जांच के लिए शनिवार को तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था. इस समिति में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी एस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल है.

CIJ ने पूछे तीन अहम सवाल

सीजेआई संजीव खन्ना ने 21 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से तीन सवालों पर जस्टिस वर्मा से जवाब मांगने को कहा. इसमें पहला सवाल है कि वह (जस्टिस यसवंत वर्मा) अपने परिसर में स्थित कमरे में पैसे/नकदी की मौजूदगी का कैसे हिसाब देते है. दूसरा उक्त कमरे में मिले पैसे/नकदी के स्रोत की व्याख्या करे. तीसरा सवाल यह है कि वह व्यक्ति कौन है, जिसने 15 मार्च 2025 की सुबह कमरे से जले हुए पैसे/नकदी को निकाला था?

दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को दिए अपने विस्तृत जवाब में जस्टिस वर्मा ने कहा कि 14 मार्च की रात होली के दिन उनके सरकारी आवास के स्टाफ क्वाटर के पास स्थित स्टोररूम में आग लगी थी.

उन्होंने कहा कि यह कमरा आम तौर पर उनके सभी कर्मचारी पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, इस्तेमाल किए हुए कालीन, पुराने स्पीकर, बागवानी के उपकरण और सीपीडब्ल्यूडी का सामान रखने के लिए इस्तेमाल करते थे. यह कमरा अनलॉक रहता था और इसके दोनों ओर प्रवेश किया जा सकता है था, एक आधिकारिक गेट से और दूसरा स्टॉफ क्वाटर के पिछले दरवाजे से 14 मार्च की रात जज के पीएस ने पीसीआर को आग लगने की सूचना दी. फायर ब्रिगेड को अलग से कॉल नहीं किया गया. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने 15 मार्च की सुबह मामले की जानकारी दी. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तब लखनऊ में थे.

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-भारत एक्सप्रेस 



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