दिल्ली की सभी जेलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जेल परिसरों में शौचालयों की सफाई के लिए पर्याप्त कर्मचारी नियुक्त करने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने सभी जेल परिसरों में 2 हफ्ते में शौचालयों की स्थिति का निरीक्षण करने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से 8 सप्ताह में स्टेट्स रिपोर्ट देने को कहा है. कोर्ट 22 अक्टूबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
यह जनहित याचिका अनुज मल्होत्रा की ओर से दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली की जेलों में शौचालयों की स्थिति बहुत खराब है और इन जेलों में हाथ से मैला ढोने का काम चल रहा है. बता दें कि इससे पहले अदालत तिहाड़ जेल में कैदियों की बढ़ती भीड़ और बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर विधि सेवा समिति द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
जेलों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बदतर
दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने वकीलों की 4 सदस्यीय एक समिति का गठन किया था. समिति में वकील डॉक्टर अमित जॉर्ज, संतोष कुमार त्रिपाठी, नंदिता राव और तुषार सन्नू शामिल थे. समिति ने कहा कि वकीलों की समिति ने जेल परिसर का निरीक्षण किया और पाया कि परिसर में पर्याप्त पेयजल उपलब्ध नहीं है और शौचालयों की स्थिति भी ठीक नहीं है.
उन्होंने बताया कि शौचालयों के दरवाजे टूटे हैं जिससे कैदियों की निजता का रोजाना हनन होता है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि कैदियों का जीवन स्तर खराब है और परिसर में मेनहोल का पानी बाहर फैला है. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि रिपोर्ट और संलग्न तस्वीरों से साफ पता चलता है कि कैदी सुरक्षित पेयजल और काम में आने लायक शौचालयों सहित जरूरी सुविधाओं से वंचित हैं. दिल्ली जेल नियम, 2018 के नियम संख्या 425 में कहा गया है कि प्रत्येक कैदी को हमेशा ताजा पीने के पानी मिलना चाहिए. ये नियम न केवल कैदियों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के महत्व पर जोर देते हैं, बल्कि एक अच्छी स्वच्छता प्रणाली और शौचालयों की सुविधाएं भी सुनिश्चित करते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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