मणिपुर हिंसा.
Manipur Violence Update: मणिपुर में एक बार फिर तनाव की स्थिति बन गई है. राज्य में ऐसी स्थिति तब है जब मणिपुर पुलिस कमांडो ने अपने हथियर सरेंडर कर दिए. प्रदेश में शांति व्यवस्था बनी रही इसके लिए हिंसा प्रभावित 5 जिलों के कलेक्टरों ने असम राइफल और सेना की मांग सीएम के साथ मीटिंग में उठाई है. बता दें कि असम के हिंसाग्रस्त जिलों में बिष्णुपुर, टेंग्नोपोल, थाउबाल, कांग्पोकपी और चूराचांदपुर शामिल हैं. प्रशासन की मांग है कि यहां 5 मार्च तक सेना की तैनाती कर दी जाए.
जानकारी के मुताबिक, गुरुवार (29 फरवरी) को मणिपुर विधानसभा की ओर से कुकी समुदाय के साथ जारी सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन समझौता को रद्द करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया था. बता दें कि इस समझौते के तहत सुरक्ष बल और कुकी समुदाय एक दूसरे पर हमला नहीं करते थे. हालांकि, अब सुरक्षा बल हमले का जवाब दे सकेंगे. जबकि, दूसरी ओर केंद्र सरकार अब भी कुकी समुदाय से बातचीत कर रही है.
अभी मणिपुर के पहाड़ी जिलों में AFSPA लागू
मणिपुर में मुख्य रूप से इंफाल वैली और उसके आसपास के क्षेत्र में स्थिति अच्छी नहीं है. इन इलाकों में 19 थाना क्षेत्र आता है. जहां सशस्त्र सीमा बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) लागू नहीं है. इस कानून के लागू होने से सुरक्षा बलों को कार्रवाई का अधिकार मिल जाता है.
जिन 19 थाना क्षेत्रों में सशस्त्र सीमा बल विशेषाधिकार कानून लागू नहीं हैं वे- इंफाल, लेंफेल, सिटी, सिंग्जमेई, सेकमई, लामसांग, पत्सोई, वांगोई, पोरोमपट, हेंगेंग, लामलाई, इरिलबुंग, लेमखोंग, थोबुल, बिष्णुपुर, नांबोल, मोइरोंग, काकचिंग और जिरिबम हैं. बाकी के पहाड़ी जिलों में AFSPA को लागू कर दिया गया है.
AFSPA क्या है?
सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम उन क्षेत्रों में लागू किया जाता है जहां कानून व्यवस्था सुव्यवस्थित नहीं है. ऐसे जगहों पर सुरक्षा बल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकता है. इसके अलावा सुरक्षा अपने अधिकार और बला का भी प्रयोग कर सकता है. जानकारी रहे कि इस कानून को पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सुविधा को देखते हुए साल 1958 में लागू किया गया था. इस कानून के तहत केद्र सरकार ही तय करती है कि अशांत क्षेत्र कौन-कौन से हैं.
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-भारत एक्सप्रेस