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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का मामला SC पहुंचा, याचिका में मांग- सरकार को अपाॅइंटमेंट करने से रोका जाए

Appointment of Election Commissioners: कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने चुनाव आयुक्त के रूप में अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद यह याचिका दायर की है, जिससे महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तीन सदस्यीय चुनाव आयोग में सदस्यों की संख्या घटकर एक रह गई है.

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सुप्रीम कोर्ट

Appointment of Election Commissioners: हाल ही में लागू मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम-2023 के तहत केंद्र सरकार को नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.

कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने चुनाव आयुक्त के रूप में अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद यह याचिका दायर की है, जिससे महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तीन सदस्यीय चुनाव आयोग के सदस्यों की संख्या घटकर एक रह गई है.

जया ठाकुर की याचिका में शीर्ष अदालत से एक निर्देश की मांग की गई है, जिसमें केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले में निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया गया है, जो यह निर्धारित करता है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) और विपक्ष के नेता की समिति द्वारा की जानी चाहिए.

ठाकुर ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करने का हमारा प्रयास है कि इसके (चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति) लिए कुछ मानदंड स्थापित किए जाएंगे.’

अधिनियम पर सवाल

दिसंबर 2023 में संसद द्वारा पारित मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम में प्रभावी रूप से चयन समिति के तीन सदस्यों में से एक के रूप में सीजेआई के स्थान पर एक कैबिनेट मंत्री को नियुक्त करने का प्रावधान है, जिसे लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.

बीते जनवरी में जया ठाकुर ने इस अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कहा गया है कि कानून के प्रावधान स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत का उल्लंघन हैं, क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए ‘स्वतंत्र तंत्र’ प्रदान नहीं करता है.

हालांकि, अदालत ने नए कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच की जांच करने पर सहमति व्यक्त करते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया था.

अरुण गोयल का अचानक इस्तीफा

बीते 9 मार्च को अरुण गोयल ने आगामी लोकसभा चुनावों के कार्यक्रम की अपेक्षित घोषणा से कुछ दिन पहले चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तहत किसी चुनाव आयुक्त द्वारा यह दूसरा इस्तीफा है. साल 2020 में अशोक लवासा ने एशियाई विकास बैंक में शामिल होने के लिए चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया था.

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि क्या अरुण गोयल ने मुख्य चुनाव आयुक्त या नरेंद्र मोदी सरकार के साथ किसी मतभेद के कारण इस्तीफा दिया है.

चुनाव आयोग में दो पद खाली

चुनाव आयोग में इस समय दो आयुक्तों के पद खाली हैं. बीते फरवरी में अरूप चंद्र पांडे भी चुनाव आयुक्त के पद से रिटायर हो गए थे. ऐसे में चुनाव आयोग में एक ही आयुक्त हैं राजीव कुमार, जो कि मुख्य चुनाव आयुक्त भी हैं.

इस बीच खबर है कि 2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए पीएम मोदी की अध्यक्षता में 14 मार्च को उच्चस्तरीय कमेटी की बैठक होनी है. सूत्रों ने बताया कि 15 मार्च तक इन दो पदों को भरा जा सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली और एक केंद्रीय मंत्री तथा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय चयन समिति की 14 मार्च को बैठक होने की संभावना है.

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