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By Akansha
One nation One election : केंद्र की मोदी सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ यानी एक देश-एक चुनाव की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ा दिया है. कानून मंत्रालय ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी है. इसके साथ ही कमेटी के सदस्यों के नामों की घोषणा भी कर दी है. कमेटी में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आज़ाद और अन्य कई नेता शामिल किए गए हैं.
न्यूज एजेंसी ANI ने बताया कि आज पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आज़ाद और अन्य को सदस्यों के रूप में नियुक्त किया गया है. सरकार की ओर से कहा गया कि कमेटी ये जांचेगी कि क्या लोकसभा, विधानसभा, निकाय और पंचायत चुनाव एकसाथ हो पाएंगे.
इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने दिल्ली स्थित उनके घर पहुंचे थे. उन्होंने उनको फूलों का गुलदस्ता भेंट किया था. दोनों की तस्वीर सामने आते ही विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अचानक सरकार को संसद का विशेष सत्र बुलाने की जरूरत क्यों पड़ गई. वहीं, कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के डिप्टी CM टीएस सिंहदेव ने कहा- निजी तौर पर मैं एक देश एक चुनाव का स्वागत करता हूं. यह नया नहीं, पुराना आइडिया है.
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी का बयान भी आया है. उन्होंने कहा, ‘अभी एक समिति का गठन किया गया है. समिति की एक रिपोर्ट आएगी जिस पर चर्चा होगी. संसद परिपक्व है और वहां चर्चा होगी. घबराने की जरूरत नहीं है…भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है, यहां विकास हुआ है…मैं संसद के विशेष सत्र के एजेंडे पर चर्चा करूंगा.’
केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि हर साल देश में कहीं न कहीं चुनाव होता है. इससे विकास में बाधा आती है, अधिक खर्च भी होता है. अब ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ देशहित में होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ‘एक देश-एक चुनाव’ की वकालत कर चुके हैं. इसके समर्थन के पीछे सबसे बड़ा तर्क यही दिया जा रहा है कि इससे चुनाव में खर्च होने वाले करोड़ों रुपये बचाए जा सकते हैं. पैसों की बर्बादी से बचना है तो वन नेशन-वन इलेक्शन की व्यवस्था करनी होगी. एक देश-एक चुनाव बिल लागू होने से देश में हर साल होने वाले चुनावों पर खर्च होने वाली भारी धनराशि बच जाएगी.
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