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MP Election: 3 दिसंबर को भोपाल में न हो काउंटिंग, चुनाव आयोग के सामने लगाई गई अर्जी, जानें वजह

तीन दिसंबर को भोपाल गैस त्रासदी की बरसी है. 1984 में तीन दिसंबर के दिन ही यह त्रासदी हुई थी, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी.

Election Commission

फोटो सोशल मीडिया

MP Election: राज्य में सरकार बीजेपी की बनेगी या कांग्रेस की. जनता ने अपना फैसला सुना दिया है. हालांकि, जनता ने क्या फैसला किया है ये हमें 3 दिसंबर को पता चलेगा. बता दें कि राज्य में विधानसभा चुनाव अच्छे से हो इसके लिए चुनाव आयोग ने खास तैयारियां की थीं. लेकिन इसके बावजूद कई तरह की शिकायतें की गईं. इसमें खराब ईवीएम, अफसर, शराब-पैसे शामिल थे.

अब चुनाव आयोग तक एक और अर्जी पहुंची है. इस अर्जी में अपील की गई है कि भोपाल में 3 दिसंबर को मतगणना न हो. अर्जी में किसी और दिन मतगणना की बात कही गई है. चुनाव आयोग से अपील की गई है कि भोपाल में 3 दिसंबर को मतगणना न कराया जाए. तीन दिसंबर को परिणाम आएंगे और फिर ढोल नगाड़े बजेंगे, जिससे हजारों मृतक आत्माओं को कष्ट पहुंचेगा.

3 दिसंबर को भोपाल गैस त्रासदी की बरसी

बता दें कि तीन दिसंबर को भोपाल गैस त्रासदी की बरसी है. 1984 में तीन दिसंबर के दिन ही यह त्रासदी हुई थी, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी. तीन दिसंबर को मतगणना होनी है, जिसके बाद भोपाल में जश्न का माहौल रहेगा. लोग पटाखे फोड़ेंगे. अब इसी को देखते हुए चार उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग से 3 दिसंबर को मतगणना न कराने की अपील की है.

दरअसल, आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी प्रकाश नरवारे, भोपाल उत्तर से निर्दलीय प्रत्याशी अताउल्ला इकबाल,नरेला से आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी शमा तनवीर और भोपाल मध्य से समर्थित आजाद समाज पार्टी प्रत्याशी शमसुल हसन ने चुनाव आयोग में शुक्रवार को अर्जी दी है. इस अर्जी में तीन दिसंबर को होने वाली मतगणना को किसी और दिन करने की बात कही गई है.

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भाजपा उम्मीदवार ने क्या कहा? 

भाजपा उम्मीदवार (भोपाल मध्य) ध्रुवनारायण सिंह ने कहा, ”मैं पार्टी कार्यकर्ताओं को नहीं उकसाऊंगा, लेकिन मैं उन्हें जश्न मनाने से नहीं रोक सकता. यह त्रासदी 2 और 3 दिसंबर की दरमियानी रात को हुई थी और नतीजे शाम के बाद आएंगे, इसलिए जश्न शाम के बाद ही मनाया जाएगा.’ रचना ढींगरा ने कहा, “भारत के मुख्य चुनाव आयोग को भोपाल गैस त्रासदी का कोई महत्व नहीं है, जिसमें इतने सारे लोग मारे गए और अभी भी कई लोग स्वास्थ्य समस्याओं के कारण पीड़ित हैं. निश्चित रूप से, जीत के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन यह चुनाव आयोग को तय करना है.”

-भारत एक्सप्रेस

 



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