
Murshidabad Violence Update: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के धूलियान इलाके में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब मोदी सरकार के संशोधित वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठनों के प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया. प्रदर्शन के दौरान कुछ कट्टरपंथियों ने हिंदू बहुल इलाकों को निशाना बनाते हुए घरों में आगजनी, लूटपाट और जानलेवा हमले किए. इस हिंसा में पिता-पुत्र समेत तीन लोगों की मौत हो गई.
जान बचाने के लिए ग्रामीणों का पलायन, नाव से पार की नदी
हिंसा के डर से अब तक करीब 500 ग्रामीण अपना घर-बार छोड़कर मालदा जिले में शरण ले चुके हैं. इन लोगों ने नदी पार कर नाव के जरिए मालदा का रुख किया. शरणार्थी फिलहाल मालदा के पारलालपुर हाई स्कूल में अस्थायी राहत शिविर में रह रहे हैं. इनमें अधिकतर महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे शामिल हैं.
शरणार्थियों की आपबीती- ‘घर जलाया, पानी में ज़हर डाला’
शरण लेने वाले ग्रामीणों ने मीडिया को बताया कि हिंसक भीड़ ने उनके घरों में आग लगा दी, राशन लूट लिया और पानी की टंकियों में ज़हर मिला दिया. उनका कहना है कि हमलावरों में अधिकांश 15 से 17 साल के किशोर शामिल थे. ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए बच्चों को लेकर गांव से भागने का फैसला किया.
स्थानीय लोगों की मदद से मिली राहत, डॉक्टर भी पहुंचे
मालदा के स्थानीय लोगों ने इन शरणार्थियों को खाना, पानी और सिर छिपाने की जगह दी है. राहत शिविर में डॉक्टरों की एक टीम भी पहुंची है जो बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है.


‘अब ना घर रहा, ना राशन बचा’ – मजबूरी में पलायन
एक ग्रामीण ने रोते हुए बताया, “हमारे गांव में कई घरों को जला दिया गया. मारपीट के बाद भीड़ ने लूटपाट की और हमें मरने के लिए छोड़ दिया. अब हमारे पास न घर है, न खाने को कुछ. मजबूरी में हमें पलायन करना पड़ा.”
मुर्शिदाबाद में तनावपूर्ण शांति, पर डर अभी बाकी है
मुर्शिदाबाद में वर्तमान में भले ही तनावपूर्ण शांति बनी हुई है, लेकिन दो दिन पहले हुई हिंसा के बाद इलाके में भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है. पलायन अभी भी जारी है और प्रशासन पर शांति बहाल रखने का दबाव बना हुआ है.
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