
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) की एक रिपोर्ट सामने आई है. इसमें बताया गया है कि बांग्लादेश और म्यांमार से घुसपैठ बढ़ रही है, जिससे दिल्ली में मुस्लिमों की आबादी बढ़ी है. इस रिपोर्ट का शीर्षक “दिल्ली में अवैध अप्रवासी : सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिणामों का विश्लेषण” है.
रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के कारण दिल्ली की जनसंख्या और डेमोग्राफी में बदलाव आया है. जो दिल्ली 10-15 साल पहले हुआ करती थी, अब वैसी नहीं रही. घुसपैठियों की वजह से अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है. संसाधनों पर भी भारी दबाव पड़ा है. हेल्थ और एजुकेशन सिस्टम प्रभावित हुआ है. जो मजदूर पहले हरियाणा, पूर्वांचल, ओडिशा और केरल से आते थे, अब उनकी जगह बांग्लादेश और म्यांमार से आए घुसपैठियों ने ले ली है. उन्होंने गैरकानूनी तरीके से नौकरियां छीन ली हैं.
भाजपा सांसद संबित पात्रा का बयान
भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कहा कि JNU रिपोर्ट प्रो. मनुराधा चौधरी और उनकी टीम ने तैयार की है. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल इस घुसपैठ को बढ़ावा दे रहे हैं.
उन्होंने कहा, “ये रोहिंग्या घुसपैठिए बिना किसी दस्तावेज के भारत आ रहे हैं. आम आदमी पार्टी की एजेंसियां इनके फेक वोटर आईडी कार्ड बना रही हैं. ये हमारी चुनावी प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा रहे हैं. घुसपैठियों की वजह से दिल्ली में अपराध दर भी बढ़ा है.”
चुनावी प्रक्रिया पर पड़ता है असर
रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश से अवैध प्रवास की जड़ें 2017 के रोहिंग्या संकट से जुड़ी हैं. उस समय लाखों शरणार्थी भारत आए, जिनमें से कई दिल्ली में बस गए. ये प्रवासी आवास और नौकरी पाने के लिए दलालों, एजेंटों और धार्मिक संगठनों जैसे अनौपचारिक नेटवर्क पर निर्भर रहते हैं. इससे अवैध प्रवास का सिलसिला चलता रहता है.
यह नेटवर्क फर्जी आईडी और दस्तावेज भी तैयार करता है, जिससे देश की कानूनी व्यवस्था और चुनावी प्रक्रिया प्रभावित होती है. दिल्ली में अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या के कारण अपराध भी काफी बढ़ा है.
अवैध बस्तियों से बुनियादी सुविधाओं पर बढ़ा दबाव
JNU की रिपोर्ट के अनुसार, अवैध प्रवासियों द्वारा झुग्गी-झोपड़ियों और अनियोजित कॉलोनियों की संख्या बढ़ गई है. इससे दिल्ली की बुनियादी सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ा है. आवास, सफाई और जल आपूर्ति की स्थिति खराब हो गई है. वहीं, हेल्थकेयर सिस्टम को भी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैध आप्रवासन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य संकटों के खतरे को बढ़ा दिया है. प्रवासी बस्तियों में भीड़-भाड़ और अस्वच्छ परिस्थितियां संक्रामक रोगों के फैलने में योगदान कर रही हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जहां अवैध बांग्लादेशी बसे हैं, वहां शिक्षा व्यवस्था पर भी असर पड़ा है. स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ रही है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि ये अवैध प्रवासी दिल्ली के जामिया नगर (शाहीन बाग), जाकिर नगर, लाजपत नगर, सीलमपुर, मुस्तफाबाद, निजामुद्दीन, शाहदरा, भलस्वा डेयरी, बवाना, द्वारका, रोहिणी, गोविंदपुरी समेत कई इलाकों में बसे हुए हैं.
भारत में एक ठोस इमीग्रेशन नीति नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और बांग्लादेश के बीच की सीमा अवैध प्रवासन की बड़ी समस्या बन गई है. सीमा पर सही नियंत्रण न होने की वजह से प्रवासी लगातार आ रहे हैं. जेएनयू की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में एक ठोस इमीग्रेशन नीति नहीं होने से इस समस्या का सही समाधान निकालना मुश्किल हो रहा है.
इसके अलावा, बांग्लादेश और म्यांमार से आए प्रवासियों को भारत में भेदभाव और विरोध का सामना करना पड़ता है, जिससे उनका जीवन कठिन हो जाता है और समाज में तनाव बढ़ता है. इसके साथ ही, अवैध प्रवासन के कारण भारत के पड़ोसी देशों, खासकर बांग्लादेश और म्यांमार, के साथ रिश्तों पर असर पड़ता है. ऐसे मुद्दों का हल निकालने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करने की जरूरत है.
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-भारत एक्सप्रेस
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