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नेपाल सरकार ने भारत द्वारा विकसित की जाने वाली दूसरी हाइड्रोपावर को दी मंजूरी, SVJN के साथ किए हस्ताक्षर

नेपाल प्रधान मंत्री कीअध्यक्षता वाली बैठक में निवेश बोर्ड नेपाल की एक बैठक ने 669 मेगावाट लोअर अरुण जलविद्युत परियोजना को विकसित करने के लिए भारत के राज्य के स्वामित्व वाली एसजेवीएन के साथ हस्ताक्षर किए जाने वाले अंतिम परियोजना विकास समझौते (पीडीए) के मसौदे को मंजूरी मिली.

Arun Hydropower Project

अरुण हाइडल परियोजना के लिए भारत के SVJN के साथ हस्ताक्षर किए

kathmandu : नेपाल ने रविवार को भारत के सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) लिमिटेड को देश में दूसरी जलविद्युत परियोजना विकसित करने की अनुमति देने का फैसला किया. निवेश बोर्ड नेपाल (आईबीएन) की एक बैठक ने 669 मेगावाट लोअर अरुण हाइड्रोपावर परियोजना को विकसित करने के लिए भारत के राज्य के स्वामित्व वाले एसजेवीएन के साथ हस्ताक्षर किए जाने वाले अंतिम परियोजना विकास समझौते (पीडीए) के मसौदे को मंजूरी दे दी. पूर्वी नेपाल में होने वाली जलविद्युत परियोजना के लिए पीडीए की मंजूरी नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल की भारत यात्रा से पहले आई है जो बुधवार से शुरू होने वाली है.

दरअसल आइबीएन के बयान के अनुसार, इस 669-मेगावाट परिवर्तनकारी परियोजना का विकास देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा. एसजेवीएन ने नेपाल में एक स्थानीय कंपनी लोअर अरुण पावर डेवलपमेंट कंपनी बनाई है। संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित लोअर अरुण परियोजना में कोई जलाशय या बांध नहीं होगा.

74 प्रतिशत निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध
(एच आई डी सी एल) ने औपचारिक रूप से नेपाल के निवेश बोर्ड को एक पत्र लिखा है, जिसमें उनसे अक्टूबर 2019 में पावर चाइना के साथ हस्ताक्षरित समझौते को समाप्त करने का अनुरोध किया गया है. अनुरोध के जवाब में नेपाल के निवेश बोर्ड (आईबीएन ) ने पावर चाइना को एक पत्र भेजने का फैसला किया, उनसे उठाई गई चिंताओं के बारे में स्पष्टीकरण प्रदान करने का आग्रह किया. तीन साल पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नेपाल यात्रा के दौरान एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. आपको बता दें समझौते के अनुसार पावर चीन उल्लेखित में 74 प्रतिशत निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है. नेपाल सरकार ने तामोर जलाशय परियोजना से पावर चाइना को बाहर करने और एक भारतीय कंपनी लाने की योजना बनाई है

मंत्रिपरिषद द्वारा समर्थन की होती है जरूरत
दरअसल मसौदे को लागू करने से पहले मंत्रिपरिषद द्वारा समर्थन की आवश्यकता होती है। आइबीएन की पिछली बैठक में परियोजना के विकास के लिए 92.68 अरब रुपये के निवेश को मंजूरी दी गई थी. प्रस्तावित जलविद्युत परियोजना- लोअर अरुण में कोई जलाशय या बांध नहीं होगा और यह अरुण-III का टेल्रेस विकास होगा, जिसका अर्थ होगा कि लोअर अरुण परियोजना के लिए पानी नदी में फिर से प्रवेश करेगा. 900 मेगावाट अरुण-III और 695 मेगावाट अरुण-IV पनबिजली परियोजनाओं के बाद, अरुण नदी पर पूरी बातचीत के माध्यम से शुरू की गई यह तीसरी परियोजना है आपको को बता दें  जिले में नदी से लगभग 2,300 मेगावाट बिजली पैदा होगी.

-भारत एक्सप्रेस



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