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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की राजनीतिक दलों को चेतावनी- CAA को लेकर प्रदर्शन किया तो…

CAA बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले और उसके बाद पांच साल तक देश में रहने वाले हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है.

himanta biswa sarma

असम के सीएम हिमंता बिस्वा शर्मा.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि अगर राजनीतिक दल अदालत के आदेशों का उल्लंघन करके बंद बुलाते हैं तो वे अपना रजिस्ट्रेशन खो सकते हैं. उन्होंने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019 के किसी भी विरोध को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया जाना चाहिए और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि कानून पहले ही बन चुका है.

उन्होंने कहा, ‘हर किसी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन अगर कोई राजनीतिक दल अदालत के आदेश की अवहेलना करता है, तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है.’

राजनीतिक दल ऐसा नहीं कर सकते

उन्होंने कहा कि हालांकि छात्र संगठनों के लिए बंद का आह्वान करना स्वीकार्य है, लेकिन गौहाटी हाईकोर्ट द्वारा इस पर रोक लगाने के आदेश के कारण राजनीतिक दल राज्य में ऐसा नहीं कर सकते.

उन्होंने कहा, ‘अगर कोई राजनीतिक दल हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन करता है, तो हम चुनाव आयोग के पास जाएंगे.’ उन्होंने CAA लागू होने पर विपक्ष द्वारा आंदोलन तेज करने की घोषणा का जिक्र करते हुए यह बात कही. मुख्यमंत्री ने कहा कि CAA का विरोध करने वालों को अपनी बात सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखनी चाहिए, क्योंकि वही एकमात्र प्राधिकारी है, जो अब इस कानून को रद्द कर सकता है.

मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, ‘अगर आंदोलन तेज करना ही था, तो यह कानून पारित होने से पहले किया जाना चाहिए था. अब यह केवल नियमों को अधिसूचित करने का मामला है, जिसे करने के लिए सरकार बाध्य है. अगर अब कोई आंदोलन होता भी है, तो मैं इसकी गारंटी देता हूं. कोई नया व्यक्ति इसमें शामिल नहीं होगा.’

विपक्ष का विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान

विपक्षी दलों, छात्रों और अन्य संगठनों ने CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज करने की घोषणा की है. CAA बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले और उसके बाद पांच साल तक देश में रहने वाले हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है.

16 दलों के यूनाइटेड अपोजिशन फोरम, असम (यूओएफए) ने बीते 8 मार्च को राज्य के कलियाबोर में धरना प्रदर्शन किया था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असम के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे. फोरम ने कहा कि विवादास्पद अधिनियम लागू होने के अगले ही दिन राज्यव्यापी बंद बुलाया जाएगा, जिसके बाद ‘जनता भवन’ यानी सचिवालय का ‘घेराव’ किया जाएगा.

इसने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें कहा गया कि अगर CAA को रद्द नहीं किया गया तो वे राज्य भर में ‘लोकतांत्रिक जन आंदोलन’ करेंगे.

11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा द्वारा CAA पारित करने के बाद असम में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें आंदोलनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ तीखी झड़प हुई थी, जिससे प्रशासन को कई कस्बों और शहरों में कर्फ्यू लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

गृह मंत्री ने क्या कहा था

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि CAA नियमों को लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित और लागू किया जाएगा. बीते फरवरी माह में एक कार्यक्रम के दौरान शाह ने कहा था, ‘CAA देश का कानून है और इसकी अधिसूचना निश्चित रूप से जारी की जाएगी. इसे चुनाव से पहले जारी किया जाएगा. चुनाव से पहले CAA लागू कर दिया जाएगा. किसी को भी इसके बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए.’

गृह मंत्री ने कहा था कि वह यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि CAA किसी की नागरिकता छीनने का कानून नहीं है.

उनके अनुसार, ‘हमारे मुस्लिम भाइयों को CAA के मुद्दे पर उकसाया जा रहा है. CAA किसी की नागरिकता नहीं छीन सकता क्योंकि कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है. CAA उन लोगों को नागरिकता देने के लिए बनाया गया है, जो धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हैं. किसी को भी इस कानून का विरोध नहीं करना चाहिए.’

-भारत एक्सप्रेस

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