सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता कबीर शंकर बोस से संबंधित दो मामलों की जांच सीबीआई को सौप दिया है. बोस के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस नेता कल्याण बनर्जी ने 2020 में एफआईआर दर्ज कराया था. इससे पहले सुनवाई के दौरान बोस की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा था कि उनके खिलाफ दायर आपराधिक कार्रवाई को समाप्त कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह कार्रवाई उनके खिलाफ निजी स्वार्थ के लिए प्रतिशोध के तौर पर की गई है.
बोस ने दावा किया है कि राजनीतिक और व्यक्तिगत प्रतिद्वंदिता के कारण उन्हें विशेष रूप से पश्चिम बंगाल सरकार और बनर्जी ने निशाना बनाया है. बोस ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि वह राज्य में उसे उसके जीवन और स्वतंत्रता के लिए उत्पन्न खतरों से बचाए.
पप्पू सिंह के नेतृत्व में जबर्दस्त पथराव
बोस ने कहा कि उनके खिलाफ टीएमसी के गुंडों से जान बचाने के लिए सीआईएसएफ सुरक्षा की कथित कार्रवाई के लिए आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत संतोष कुमार सिंह की शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. बोस ने अपनी याचिका में दावा किया था कि पश्चिम बंगाल के सेरामपुर में वह और उनके साथ चल रही सीआईएसएफ की टुकड़ी पर उनके घर के बाहर की रात करीब आठ बजे संतोष कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह के नेतृत्व में जबर्दस्त पथराव किया गया था.
भाजपा नेताओं ने किया सुप्रीम कोर्ट रुख
इस मामले में न्याय के लिए बोस और पांच अन्य भाजपा नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें सत्तारूढ दल के इशारे पर पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा उनके खिलाफ निजी स्वार्थ के तहत कार्रवाई का आरोप लगाया गया. भाजपा नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से सभी मामलों को एक स्वतंत्र जांच एजेंसी या सीबीआई को ट्रांसफर करने का आग्रह किया था.
बोस ने इस घटना के संबंध में सीआईएसएफ द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट भी मंगाने का अनुरोध किया था. बोस के मुताबिक थाने में पुलिस अधिकारी बार-बार कह रहे थे कि कल्याण बनर्जी याचिकाकर्ता को तुरंत गिरफ्तार करने के लिए जबर्दस्त दबाव डाल रहे थे और इसलिए याचिकाकर्ता को थाने में ही गिरफ्तार कर लिया गया था.
-भारत एक्सप्रेस
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