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पूर्व CJI चंद्रचूड़ करेंगे सरकारी बंगला खाली, SC ने केंद्र को भेजा पत्र

Legal News: प्रशासन की मानें, तो सेवानिवृत्त होने के बाद पूर्व CJI को नियमानुसार आवास खाली करना आवश्यक है, ताकि आवास को नए न्यायाधीशों को आवंटित किया जा सके.

D Y Chandrachud

पूर्व CJI चंद्रचूड़

Legal News: सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक विभाग ने देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ से उनके आधिकारिक आवास को खाली करने का अनुरोध किया है. यह कार्रवाई न्यायिक सेवा (Legal News) से सेवानिवृत्ति के बाद निर्धारित समयसीमा के अनुसार की गई है. प्रशासन की मानें, तो सेवानिवृत्त होने के बाद पूर्व CJI को नियमानुसार आवास खाली करना आवश्यक है, ताकि आवास को नए न्यायाधीशों को आवंटित किया जा सके.

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पूर्व CJI की तरफ से नहीं आया कोई आधिकारिक बयान

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ द्वारा अब तक उनका आधिकारिक आवास खाली नहीं हुआ है. इसे तत्काल खाली कराया जाए. जल्द से जल्द इसे सुप्रीम कोर्ट के हाउसिंग पूल में वापस लौटाया जाए. वहीं दूसरी तरफ इस मामले में पूर्व CJI की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. फिलहाल, ये खबर न्यायिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है.

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पत्र में लिखा बंगला तुरंत वापस लें

दरअसल, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने नवंबर 2022 से नवंबर 2024 तक बतौर भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा दी. सेवानिवृत्ति के बाद अभी भी वह लुटियंस दिल्ली स्थित कृष्ण मेनन मार्ग पर बंगला नंबर 5 में रह रहे हैं, जो बंगला देश के कार्यरत CJI के लिए आवंटित होता है. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र भेजा गया है. इसमें लिखा है, “आपसे निवेदन है कि कृपया कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगला नंबर 5 को माननीय डॉ. जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ से तुरंत वापस लें, क्योंकि न केवल इसकी अनुमति 31 मई 2025 को समाप्त हो चुकी है, बल्कि 2022 नियमों के तहत निर्धारित छह महीने की अवधि भी 10 मई 2025 को समाप्त हो गई है.”

केंद्र सरकार करे सीधा हस्तक्षेप

दरअसल, ये पत्र सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा मंत्रालय के सचिव को भेजा गया है. इस घटनाक्रम के बाद न्यायिक हलकों में चर्चा तेज हो गईं है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस प्रकार का सख्त कदम उठाते हुए केंद्र सरकार से सीधा हस्तक्षेप करने को कहा है.

– भारत एक्सप्रेस



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