Bharat Express

MP Assembly Election Result 2023: समाजवादी पार्टी का मध्य प्रदेश में नहीं खुला खाता, फेल हुआ अखिलेश का PDA वाला दांव

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने पूरा जोर लगाया था और पार्टी की ओर से 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारे गए थे.

Akhilesh Yadav

अखिलेश यादव

Assembly Election Result 2023: नवम्बर महीने में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में से चार राज्यों के नतीजे रविवार को आ रहे हैं. शुरुआती रुझानों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भाजपा आगे चल रही है. इसको लेकर भाजपा खेमे में जश्न का माहौल है. देश भर के विभिन्न हिस्सों के भाजपा कार्यालयों में ढोल-नगाड़ों के साथ उत्सव मनाया जा रहा है. चुनाव आयोग के मुताबिक, अभी तक मध्य प्रदेश में बीजेपी 157 और कांग्रेस 71 सीटों पर है. वहीं छत्तीसगढ़ में बीजेपी 50 और कांग्रेस 38 सीट पर है. राजस्थान में बीजेपी-114 और कांग्रेस-68 सीट पर है. हालांकि तेलंगाना में कांग्रेस ने बढ़त बनाई है और 66 सीटों के साथ आगे चल रही है तो वहीं यहां पर बीआरएस 37 ,बीजेपी 8, AIMIM-3 और CPI-1 सीट पर है. समाजवादी पार्टी ने भी एमपी में अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उनके हाथ मायूसी ही आई है.

मध्य प्रदेश में एक भी सीट पर सपा (समाजवादी पार्टी) को बढ़त हासिल नहीं हुई है और सपा प्रमुख अखिलेश यादव का PDA दांव फेल होता नजर आ रहा है. बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने पूरा जोर लगाया था और पार्टी की ओर से 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारे गए थे लेकिन, अब तक के सामने आए रुझान में पार्टी को कहीं से भी सफलता मिलती नहीं दिख रही है. वहीं सबसे बड़ी चर्चा एमपी में अगर किसी सीट को लेकर रही तो वह है बुधनी सीट…

यहां से मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने अखिलेश यादव के महामंडलेश्वर स्वामी वैराज्ञानंद उर्फ मिर्ची बाबा को टिकट दिया गया था. अगर दो राउंड के वोटों की गिनती की मानें तो सपा प्रत्याशी को मात्र 11 वोट ही हासिल हो सके. प्रारंभिक रुझानों को देखें तो एमपी चुनाव में सपा 0.39 फीसदी वोट हासिल करती ही दिख रही है. यह सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है.

ये भी पढ़ें- Election Results: तेलंगाना के रुझानों में कांग्रेस बहुमत के पार, जानें बीजेपी को कितना फायदा

सीटों को लेकर कांग्रेस और सपा के बीच हुआ था विवाद

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने खूब चुनाव प्रचार किया था और पीडीए ( पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक ) दांव आजमाया था. क्योंकि इसी फार्मूले पर सपा ने घोसी विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद अखिलेश ने यही दांव एमपी में भी चला लेकिन यहां उनकी समीकरण ठीक नहीं बैठा. हालांकि सीट बंटवारे को लेकर यहां पर कांग्रेस और अखिलेश यादव के बीच विवाद हो गया था और ये विवाद इतना बढ़ा था कि अखिलेश ने कांग्रेस को यूपी में देख लेने तक की बात कही थी.

दरअसल अखिलेश यादव ने एमपी में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के जरिए पकड़ बढ़ाने की कोशिश की थी लेकिन एमपी में अच्छी पैठ रखने वाली कांग्रेस ने सपा को दरकिनार कर दिया था और जो सीटें अखिलेश मांग रहे थे वो नहीं दी थी. ऐसे में सपा ने अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया. हालांकि I.N.D.I.A.गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच रिश्ते कुछ खास नहीं हैं.

सपा की राहें और भी हुई मुश्किल

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के जरिए समाजवादी पार्टी पीडीए को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी राजनीति को सफल बनाने की मुहिम शुरू की थी और मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनके MY समीकरण से इतर अखिलेश अन्य जातियों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करते दिखे थे और समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का दर्जा दिलाने लगातार प्रयास कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने एमपी में कड़ी मेहनत भी की, लेकिन एमपी चुनाव परिणाम अखिलेश यादव को झटका देता दिख रहा है.

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read