(प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ (Dr. S. Somnath) ने हाल ही में भारत की स्पेस एक्टिविटी को लेकर प्राइवेट सेक्टर (Private Sector) और स्टार्टअप (Startup) की बढ़ती महत्ता पर प्रकाश डाला.
डॉ. सोमनाथ ने अपने एक संबोधन में कहा कि भारत (India) अपनी स्पेस एक्टिविटी (Space Activity) को बढ़ावा देकर वैश्विक बाजार में अधिक हिस्सेदारी हासिल करना चाहता है, जिसमें प्राइवेट सेक्टर और स्टार्टअप की अहम भूमिका है.
रिसर्च से फायदा
उन्होंने कहा कि इसरो ने सैकड़ों अलग-अलग सेक्टर की पहचान की है, जिन्हें स्पेस मिशनों के लिए किए गए रिसर्च से फायदा होगा और कुछ चुनिंदा उद्योगों के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने के लिए बातचीत शुरू हो चुकी है. वह केरल स्टार्टअप मिशन द्वारा आयोजित देश के प्रमुख स्टार्टअप फेस्टिवल हडल ग्लोबल 2024 में ‘इसरो के विजन और भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनियों के उदय’ पर बोल रहे थे.
भारत की योजना
डॉ. सोमनाथ ने कहा, ‘एक स्वीकृत अंतरिक्ष शक्ति होने के बावजूद, वैश्विक कारोबार में भारत की हिस्सेदारी 386 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी सिर्फ दो प्रतिशत है. भारत की योजना इसे 2030 तक 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2047 तक 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने की है.’ प्राइवेट सेक्टर के लिए बिजनेस एक्टिविटी को लेकर उन्होंने कहा कि भारत के पास केवल 15 ऑपरेशनल स्पेस सैटेलाइट हैं, जो कि बेहद कम हैं.
स्पेस टेक्नोलॉजी
स्पेस टेक्नोलॉजी (Space Technology) में देश की विशेषज्ञता और सैटेलाइट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए भारत के पास कम से कम 500 सैटेलाइट रखने की क्षमता है. उन्होंने कहा, ‘अब बाजारों में कई प्राइवेट प्लेयर उभर रहे हैं, जिनके पास सैटेलाइट का निर्माण करने और उन्हें ऑर्बिट में स्थापित करने की क्षमता है और यहां तक कि निजी लॉन्च पैड भी बन रहे हैं.’
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स्पेस स्टार्टअप
2014 में जहां स्पेस से जुड़ा केवल एक स्टार्टअप था, वहीं 2024 तक यह संख्या बढ़कर 250 से ज्यादा हो जाएगी. अकेले 2023 में, स्पेस स्टार्टअप (Space Startups) ने 1,000 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित किया. 450 से ज्यादा एमएसएमई (MSME) और 50 से ज्यादा बड़ी कंपनियां अब स्पेस सेक्टर में सक्रिय रूप से योगदान दे रही हैं.
431 विदेशी सैटेलाइट लॉन्च
भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसी भविष्य की परियोजनाएं भी इसरो और प्राइवेट सेक्टर के बीच सहयोग को बढ़ावा देंगी. उन्होंने कहा कि छोटे सैटेलाइट को डिजाइन करने से लेकर लॉन्च करने, कम्युनिकेशन सिस्टम, ऑर्बिट ट्रांसफर व्हीकल को लेकर प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी की अपार संभावनाएं बनी हुई हैं. भारत ने स्पेस सेक्टर में प्रगति करते हुए अब तक 431 विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च किया है.
एक्सप्लोर करना मानव स्वभाव
दर्शकों के एक सवाल का जवाब देते हुए डॉ. सोमनाथ ने कहा कि वह आने वाले वर्षों में इंटरप्लेनेटरी हैबिटेशन के बारे में एलन मस्क के दृष्टिकोण की सराहना करते हैं. उन्होंने कहा कि एक्सप्लोर करना मनुष्य के स्वभाव में है. हमने एक जगह से शुरुआत की और विभिन्न महाद्वीपों में फैल गए, इसलिए शुरू से ही यात्रा करना और एक्सप्लोर करना मानव स्वभाव रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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